गीला कचरा सूखा कचरा दोनों का सही प्रबंधन ही वह प्रथम चरण है, जिससे हम एक संधारणीय, हरित भविष्य का सपना देख सकते है। आइए जानते हैं, क्यों जरुरी है, इनका सही प्रबंधन…
आलेख का सार: Summary of the article:
संधारणीय जीवन और पर्यावरण हितैषी जीवन शैली विकसित करने के लिए हमें अन्य पर्यावरणीय अनुकूल कार्यों के साथ-साथ प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन भी करने की आवश्यकता है। इस दिशा में गीले और सूखे अपशिष्ट प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कदम है। हम गीला और सूखा कचरा प्रबंधन करते हुए संसाधनों का पुन: उपयोग, जैविक कचरे से ऊर्जा, अकार्बनिक पदार्थों को अलग करना और इस कचरे का संग्रहण और उपचार कर सकते हैं। गीले कचरे में मुख्य रूप से बायोडिग्रेडेबल पदार्थ होते हैं, जैसे कि हमारे घर का बचा हुआ खाना, सब्जी के छिलके और बगीचे का कचरा। इस प्रकार के कचरे को हम खाद, वर्मीकम्पोस्टिंग या अवायवीय पाचन के माध्यम से उपयोगी संसाधन बनाकर पन: उपयोग में ला सकते हैं। इस कचरे से हम खाद, जैविक उर्वरक या बायोगैस का उत्पादन करके कृषि कार्यों में उपयोग कर सकते हैं। जिससे अनेक पर्यावरणीय लाभ जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आ सकती है और मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बढ़ाया जा सकता है।
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दूसरे प्रकार का कचरा है जिसे हम सूखा कचरा कहते हैं। इसके अंतर्गत प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु और वस्त्र जैसे गैर–बायोडिग्रेडेबल प्रकार शामिल हैं। इस का कचरे का भी हम पुन: उपयोग कर सकते हैं। यदि हम सफल पुनर्चक्रण करते हैं तो लैडफ़िल की समस्या समाधान और विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों का भी संरक्षण दोनों एक साथ हो सकता है। किंतु यह सफल प्रबंधन तभी संभव है जब हम गीला कचरा सूखा कचरा को प्रभावी रूप से अलग करें, सार्वजनिक जागरूकता फैलाए और एक प्रभावी बुनियादी ढाँचे की स्थापना करें। इसके साथ हमें कचरे को संसाधन में बदलने वाली तकनीकियों का विकास भी करना होगा।
प्रस्तुत आलेख में गीले और सूखे कचरे का प्रबंधन, प्रबंधन के सिद्धांत, विधियों और विभिन्न लाभों पर विस्तृत शोधपरक चर्चा की गई है और यदि हम प्रभावी रूप से कचरा प्रबंधन करते हैं, तो पारिस्थितिकी कार्बन पदचिह्न, व्यक्तिगत कार्बन पदचिह्न को कम करते हुए संसाधनों की रक्षा और एक संधारणीय अर्थव्यवस्था की स्थापना कर सकते हैं। आदि अनेक बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है।
गीला कचरा सूखा कचरा का परिचय: Introduction to wet waste and dry waste:
कचरा प्रबंधन आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण कचरा तेजी से उत्पादित हो राहा है। World Health Organization report 2020 के अनुसार “हर साल 1.3 बिलियन टन शहरी कचरा पैदा होता है और 2025 तक इसके हर साल 2.2 बिलियन टन तक बढ़ने की उम्मीद है। इस वजह से कचरा शहर में बिखरा रहता है, खुले मैदानों में फेंका जाता है और यह विभिन्न प्रकार के संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों और संक्रमणों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है, यही वजह है कि कचरा प्रबंधन बहुत ज़रूरी है।” (WHO report 2020) यदि हम कचरे का सफल प्रबंधन नहीं करते हैं, तो यह जल, वायु, मृदा, फसल और पर्यावरण के प्रदूषण का प्रमुख कारण बन सकता है। इसलिए कचरे का योग्य प्रबंधन आज आवश्यक हो गया है। कचरा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। एक गीला कचरा जो जैविक और बायोडिग्रेबल होता है जिससे हम ऊर्जा जैसे संसाधन बना सकते हैं। दूसरा है सूखा कचरा गैर-जैविक होता है लिकिन उसका भी पुनर्चक्रण किया जा सकता है। भारत विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला दूसरा देश है और यहाँ प्रति दिन लाखों टन कचरा का उत्पन्न होता है किंतु इस कचरे के छोटे से भाग को ही हम संसाधन बनाते हैं बाकी बचे हुए कचरे का ढेर लगा देते हैं। फलत: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है और पर्यावरण को हानि पहुचती है।
गीले और सूखे कचरे में अंतर: Difference between wet and dry waste:
कचरे का सही वर्गीकरण सफल कचरा प्रबंधन की प्राथमिक प्रक्रिया है क्योंकि सही वर्गीकरण ही सही निपटान की दिशा दिखाता है। कचरा प्रबंधन आज प्रत्येक गाँव, शहर ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश के विकास में एक महत्वपूर्ण पहलू है। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो कचरे का निपटान संभव नहीं है। इसलिए कचरे को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।
- गीला कचरा: इसमें गीला कचरा के अन्तर्गत जैविक और बायोडिग्रेडेबल पदार्थों को शामिल किया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से सड़-गल सकते हैं। गीला कचरा में मुख्यत: घर की किचन से निकलने वाला कचरा जैसे कि सब्ज़ी, अंडे के छिलके, बचा हुआ खाना, चाय पती, बगीचे के सूखे हुए और सड़े हुए पत्ते आदि कार्बनिक पदार्थ होते हैं। इस कचरे को जैविक खाद, जैविक उर्वरक, बायोगैस आदि संसाधनों में परिवर्तन करने की व्यापक संभावनाएँ होती हैं। यदि हम ऐसा प्रबंधन करते है, तो जलवायु परिवर्तन को कम करने, कार्बन उत्सर्जन को रोकने तथा संसाधन संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस अपशिष्ट प्रबंधन के पर्यावरणीय लाब के संदर्भ में पटेल, ए. और पांडे, एस. अपनी केस स्टडी में लिखा है कि “इससे न केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है बल्कि मिट्टी का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।” (Patel A. and Panday S. 2015)
- सूखा कचरा: इसी प्रकार सूखा कचरा जिसके अंर्तगत कागज़, प्लास्टिक, काँच, विभिन्न धातु के टुकड़े, लोहा, लोखंड थर्माकोल, इलेक्ट्रॉनिक कचरा (e-waste), पैकेजिंग सामग्री आदि शामिल हैं। आदि को भी हम पुनर्चक्रण के माध्यम से पुन: उपयोग करने योग्य संसाधनों में बदल सकते हैं। इसके भी मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं को कम करने में सहायता मिलती है।
गीला और सूखा कचरा प्रबंधन: Wet and Dry Waste Management:
कचरा प्रबंधन संधारणीय विकास का एक आवश्यक स्तंभ है, जो न केवल पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बल्कि आर्थिक और सामाजिक कल्याण को भी सकारात्मक रूप प्रभावित करता है। अपशिष्ट प्रबंधन में गीला और सूखा कचरा प्रबंधन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कचरा सबसे पहले व्यक्ति के संपर्क में आता है जिससे रोग बढ़ने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसी नकारात्मक प्रभावों को यूएन द्वारा अपनी रिपोर्ट हैबिटेट, 2010 स्पष्ट किया गया कि “यदि इन वस्तुओं का प्रबंधन जिम्मेदारी से नहीं किया जाता है, तो ये पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करते हैं, जलमार्गों को अवरुद्ध करते हैं और लैंडफिल में महत्वपूर्ण स्थान घेरते हैं।“5 (UN report Habitat 2010) शहरी क्षेत्र में गीला सूखा कचरा प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए Kumar, S. की टीम अपने शोध आलेख में लिखती है कि “गीले और सूखे कचरे का प्रबंधन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बायोडिग्रेडेबल और गैर–बायोडिग्रेडेबल दोनों सामग्रियों को संबोधित करता है, संसाधन पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करता है और पर्यावरणीय गिरावट को कम करता है।” (Kumar S and team 2017). अत: कहने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए कि कचरा प्रबंधन करना हरित विश्व निर्माण में कितना महत्वपूर्ण है।
गीला कचरा सूखा कचरा पृथक्करण का महत्व: Importance of wet and dry waste segregation:
कचरा गीला हो या सूखा उसके प्रबंधन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम दोनों प्रकार के कचरे को कितनी सफलता से अलग-अलग जमा करते हैं। कचरा प्रबंधन का यह प्रथम चरण है। यदि हम स्रोत पर ही गीला कचरा सूखा कचरा अलग कर लेते हैं, तो उस कचरे को संसाधन में बदलने की संभावनाएँ बढ़ जाती है। अलग-अलग जमा किए गए कचरे संग्रहण, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण करने में सुविधा होती है। यदि गीला कचरा सूखा कचरा को अलग नहीं किया गया तो उस कचरे के पुनर्चक्रण में व्यापक बाधाएँ आती है। अत: कचरे को पृथक करने हेतु जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
कचरे के पृथक्करण की तकनीकियाँ: Techniques for Waste Segregation:
यदि हम कचरे को स्त्रोत पार ही अलग-अलग कर लेते हैं और उसके संग्रहण तथा प्रसंस्करण में आधुनिक तकनीकियों का प्रयोग करते हैं, तो इससे कचरे की मात्रा भी कम हो जाती है और जो कचरा बचाता है, उसे एक उपयोगी संसाधन में बदलकर हम अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए गीले कचरे से खाद और जैविक उर्वरक तथा ऊर्जा का निर्माण किया जा सकता है उसी प्रकार सूखे कचरे रीसाइकलिंग करके पन: उपयोग करते हुए चक्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है। यदि हम ऐसा सफलतापूर्वक करते हैं, तो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ एक संधारणीय भविष्य का भी निर्माण कर सकते हैं।
घरेलू स्तर पर पृथक्करण के तरीके: Methods of Separation at Household Level:
- रंग कोडेड डस्टबीन: घरेलू स्तर पर जैसे कि किचन, होटल, रेस्तरा और सार्वजनिक कार्यक्रमों में विभिन्न रंग के डस्टबीन को व्यवस्थित उसी जगह रखा जाना चाहिए जहाँ कचरे को अधिकतम फेकने की संभावना है और कई स्टैंड लगाकर डस्टबीन की ओर मार्क दिखाया जाना चाहिए। हरा डस्टबीन गीले कचरे के लिए। नीला डस्टबीन सूखे कचरे के लिए। लाल डस्टबीन खतरनाक कचरे जैसे कि बायोमेडिकल, ई-कचरा, रसायन युक्त कचरा आदि। डस्टबीन रखने के साथ-साथ हमें लोगों को कचरा के प्रति जागरूक भी करना आवश्यक है। इस प्रकार हम कचरे का प्रथम चरण को सफलतापूर्वक कर सकते हैं।
- जैविक व अजैविक कचरे का पृथक्करण: इस कचरे को हम अलग करने के साथ-साथ संग्रहण भी करना आवश्यक है। गीले कचरे से खाद बनाना: रसोई घर के कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू करना। अर्थात भूमि में गड्डा बनाकर उसमें कचरा संग्रहण करना उसके पश्चात उसपर हरी अथवा सूखी घास ढककर उस गड्डे में पानी डाला जाट तो वह जैविक खाद बन जाता है। सूखे कचरे का रिसाइकलिंग: प्लास्टिक, कांच और धातु जैसे सूखे कचरे को रिसाइकलिंग के लिए अलग रखना और उसे रिसाइकलिंग केंद्र तक पहुँचाना ताकि उसका पुन: उपयोग हो सके।
औद्योगिक और नगरपालिका स्तर पर पृथक्करण तकनीकियाँ: Separation techniques at industrial and municipal scale:
- मैकेनाइज्ड सॉर्टिंग सिस्टम: औद्योगिक और नगरपालिका जैसे बड़े स्तर पर इस सिस्टम के माध्यम से बड़ी मात्रा में कचरे को मशीनों से अलग किया जाता है। इस सिस्टम के माध्यम कचरे का बड़े पैमाने पर प्रबंधन और अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर चक्रीय मॉडल की ओर मोड़ा जा सकता है।
- सेंसर आधारित अपशिष्ट पृथक्करण: कचरा पृथक्करण की यह अत्याधुनिक और स्टार्ट तरीका है। इस विधि के अन्तर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके स्वचालित रूप से कचरे को वर्गीकृत किया जाता है। इस तकनीक में सौ प्रतिशत तक की सटीकता प्राप्त किया जा सकता है।
- मैग्नेटिक सेपरेशन: यह भी एक ऐसी तकनीक है जो ठोस कचरे के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत धातु के कचरे को अन्य कचरे से अलग करने के लिए मैग्नेटिक फिल्टर्स का उपयोग किया जाता है।
गीला कचरा प्रबंधन तकनीकियाँ: Wet Waste Management Techniques:
गीला कचरा जैविक श्रेणी में आता है क्योंकि इस कचरे की प्रकृति जैविक होती है। इसलिए गीले कचरे के प्रबंधन में मुख्य रूप से जैविक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो इसकी जैविक प्रकृति का लाभ उठाकर इस कचरे को संसाधन में बदलती हैं। जैसे कि
- खाद बनाना: गीले कचरे के प्रबंधन के लिए यह सबसे सरल, प्रभावी और आसानी से सीखा जा सकने वाला तरीका है। गीले कचरे को घर में ही छोटे गड्ढों या गमलों में डालकर खाद में बदला जाता है। जैविक कचरा पोषक तत्वों से भरपूर होता है। फलत: इससे निर्मित खाद भी पोषक तत्वों से युक्त होती है। इस खाद को बनाने के लिए कार्बनिक पदार्थ को एरोबिक परिस्थितियों में विघटित किया जाता है, जिसका उपयोग पारंपरिक कृषि, जैविक कृषि और बागवानी कृषि में भी उपयोग किया जाता है। जैविक खाद मिट्टी के स्वास्थ्य को समृद्ध बनाती है।
- वर्मीकंपोस्टिंग: इस विधि में केंचुओं का उपयोग करके जैविक कचरे को उच्च गुणवत्ता वाले वर्मीकंपोस्ट में तोड़ा जाता है, जो पोषक तत्वों और लाभकारी सूक्ष्मजीवों से भरपूर होता है। यह खाद मृदा की गुणवत्ता और पीएच मान को बढ़ाता है। इस खाद से कृषि उत्पादकता बढ़ती है।
- बायोगैश उत्पादन: इस प्रक्रिया में, गीले कचरे को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में विघटित करके बायोगैस का उत्पादन किया जाता है। गीले कचरे को बायोडाइजेस्टर (बायोगैस संयंत्र) में डालकर मीथेन गैस उत्पन्न की जाती है। बायोगैस एक नवीकरणीय ऊर्जा है। इस गैस से खाना पकाया जा सकता है और बिजली भी उत्पादन किया जा सकता है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और डेयरी उद्योगों में जैविक कचरे से ऊर्जा उत्पन्न की जा रही है।
“इन विधियों को अपनाकर, नगर पालिकाएँ और परिवार न केवल अपने अपशिष्ट पदचिह्न को कम कर सकते हैं, बल्कि स्थायी ऊर्जा और कृषि इनपुट के निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं।“3 (George Tchobanoglous, Hilary Theissen and Samuel Vigil 1993)
अत: गीले कचरे को यदि हम सही तरीके से प्रबंधित करते हैं, तो यह कचरा नहीं बल्कि महत्वपूर्ण संसाधन है और यह कचरे के रूप में नहीं बल्कि हमारे समक्ष अवसर बनकर आता है। जिसका हमें उपयोग करना चाहिए।
सूखा कचरा प्रबंधन की तकनीकियाँ: Techniques of Dry Waste Management:
सूखे कचरे को पुनर्चक्रण योग्य सामग्री में बदला जा सकता है। सूखे कचरे का संग्रहण, छंटाई और पुनर्चक्रण के माध्यम से नए उत्पाद बनाए जा सकते हैं।
- पुनर्चक्रण: कागज, प्लास्टिक, धातु और कांच जैसे सूखे कचरे को संसाधित करके नए उत्पादों में बदला जा सकता है, जिससे उसी उत्पादन हेतु कच्चे माल की मांग कम हो जाती है। फलत: संसाधनों का संरक्षण होता है। पुनर्चक्रण प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने, ऊर्जा की खपत को कम करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करता है। पायरोलिसिस, गैसीफिकेशन तथा इंसीनिरेशन प्लांट (दहन तकनीक) आदि तकनीकियों के माध्यम से अपशिष्ट से ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है।
- पुनः उपयोग: यह भी कचरा प्रबंधन तकनीक के अन्तर्गत है। इसके अंतर्गत पुराने उत्पादों से नए उपयोगी सामान बनाया जाता है। पुन:उपयोग का दूसरा तरीका यह भी है कि कांच की बोतलें, कपड़े और पैकेजिंग सामग्री जैसी वस्तुओं को उनके मौजूदा रूप में पुनः उपयोग किया जाता है। जिससे उनका जीवन चक्र बढ़ जाता है और अपशिष्ट उत्पादन कम हो जाता है।
- नवीन अनुप्रयोग: अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियाँ गैर–पुनर्चक्रणीय सूखे कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं, जिससे बिजली का उत्पादन किया जाता है। स्मार्ट तकनीकियाँ जैसे IoT आधारित स्मार्ट कचरा प्रबंधन सिस्टम, मशीन लर्निंग और AI आधारित अपशिष्ट सॉर्टिंग, ब्लॉकचेन आधारित अपशिष्ट ट्रैकिंग और प्रबंधन आदि प्रयोग करके हम सफल कचरा प्रबंधन के साथ-साथ संसाधन, पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।
गीले और सूखे कचरे के प्रबंधन में चुनौतियाँ: Challenges in managing wet and dry waste:
गीला कचरा सूखा कचरा का यदि हम सही उपयोग करते है, तो वह एक संसाधन है। कचरे के महत्व को समझने की आवश्यकता है। इसके महत्व के बावजूद, प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन में कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: कई शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अपशिष्ट संग्रह, पृथक्करण और प्रसंस्करण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है। इसलिए वहाँ कचरा प्रबंधन सफलतापूर्वक नहीं हो पाता है। जब बुनियादी ढाँचा नहीं होगा तो कचरे का अनुचित निपटान होगा परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जाता है।
- सार्वजनिक जागरूकता: अपशिष्ट पृथक्करण और पुनर्चक्रण के महत्व और समझ की कमी से अक्सर अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों में गैर–अनुपालन और अक्षमता होती है। लोगों को जानकारी नहीं होती है कि इस कचरे को कैसे पुन: उपयोग और संसाधन में बदला जा सकता है। लोग कचरे को कचरा समझकर बिना सोचे समझने कहीं भी फेंक देते हैं, उन्हें ज्ञात नहीं होता है कि उनकी यह छोटीसी गलती पर्यावरण को कितनी हानि पहुँचाती है। अत: हमें कचरा प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी और जन-जागरूकता को बड़े पैमाने पर अपनाना होगा। नागरिकों की भागीदारी से कचरा प्रबंधन में व्यापक सुधार हो सकते हैं। इसके लिए हमें स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। लोगों को कार्यशालाओं तथा कार्यक्रमों का आयोजन करके शून्य अपशिष्ट (Zero Waste) जीवनशैली अपनाने के उपाय समझाने की आवश्यकता है।
- आर्थिक बाधाएँ: उन्नत पुनर्चक्रण संयंत्र और अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली सुविधाएँ स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है। आज कई नगर पालिकाओं के पास इतना बजट नहीं होता है कि वे उन्नत तकनीकियों को अपना सके। यह भी एक चुनौती है।
- सरकार की नीतियाँ और पहल: कचरा प्रबंधन की दिशा में सरकार को प्रभावी रूप से पहल करने की आवश्यकता है। कचरा प्रबंधन का प्रत्येक चरण सरकार की सहायता से शुरू होता है, चाहे वह कचरे के संदर्भ में जागरूकता अभियान ही क्यों न चलाना हो, उसके लिए भी धन की आवश्यकता होती है। सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। नगर पालिका की नई नीतियाँ भी बनाई जा रही हैं और ई-कचरा प्रबंधन नियम के नए नए तरीको को अपनाया जा रहा है।
तकनीकी प्रगति कचरा प्रबंधन और उसका संसाधन के रूप में उपयोग करने में सहायक होती है। स्वचालित पुनर्चक्रण प्रणालियों से परिशुद्धता के साथ कचरे को अलग किया जा सकता है और कचरे संसाधित करने के लिए सेंसर और रोबोटिक्स का उपयोग किया जा सकता है। अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र न केवल कचरे का निपटान करते हैं बल्कि हमारी ऊर्जा मांग की आपूर्ति भी करते हैं। यदि तकनीकियों का विकास होता है तो, अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित सफल रूप से होती है। तकनीकियों के माध्यम से हम कचरे को अधिक प्रभावी ढंग से ट्रैक कर सकते हैं। कचरा प्रबंधन की दिशा में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की स्थापना भी कर सकते हैं। कहना न होगा कि कचरे को संसाधन और अवसर में परिवर्तित करने के लिए तकनीकी विकास आवश्यक है।
निष्कर्ष: Conclusion:
गीला कचरा सूखा कचरा प्रबंधन को प्रभावी बनाने का परिणाम पर्यावरणीय स्थिरता और हरित भविष्य है। स्रोत पृथक्करण, खाद बनाने, पुनर्चक्रण और उन्नत तकनीकों का लाभ उठाने जैसी प्रथाओं को अपनाकर, हम कचरे से उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों को कम कर सकते हैं किंतु इन प्रयासों की सफलता सार्वजनिक जागरूकता, मजबूत बुनियादी ढाँचे और सरकारी समर्थन पर निर्भर करती है। यदि हम कचरा प्रबंधन की आधुनिक तकनीकियों को सामुदायिक भागीदारी से जोड़ देते हैं, तो हम इस दिशा में क्रांतिक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। हम पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करतेहुए संधारणीय विकास की दिशा में तेजी से बढ़ सकते हैं।
संदर्भ: Reference:
- George Tchobanoglous, Hilary Theisen, S. A. Vigil, Integrated Solid Waste Management: Engineering Principles and Management Issues, McGraw-Hill Companies Incorporated, 1993 page- 275
- Kumar, S., Smith, S. R., Fowler, G., Velis, C., Kumar, S. J., Arya, S., Rena, Kumar, R., and Cheeseman, C., Municipal Solid Waste Management in Indian Cities – A Review, Journal: Waste Management, 2017, Volume 68, Pages 366-379.
- Patel, A., and Pandey, S., Solid Waste Management: A Case Study of Ahmedabad, Journal: Procedia Environmental Science, 2015, Volume 35, Pages 573-586.
- UN-Habitat, 2010 Report, Solid Waste Management in the World’s Cities, United Nations Human Settlements Programme (UN-Habitat) Published by: UN-Habitat, 2010, https://unhabitat.org
- World Health Organization report 2020, Minimization, recycling and segregation Availabe:https://www.who.int/water_sanitat ion_health/medical waste/guide3.pdf?ua=1. [Accessed: 05-November- 2020]