हाइड्रोजन ईंधन सेल: ऊर्जा का एक हरित विकल्प Hydrogen fuel cells: A green energy option

आलेख का सार: Abstract of the article: 

हाइड्रोजन ईंधन सेल में प्रयोग होने वाला हाइड्रोजन ईंधन का एक स्वच्छ और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध स्रोत है, जो हमें संधारणीय ऊर्जा के साथ पर्यावरण हितैषी भविष्य बनाने में बल प्रदान करता है। प्रस्तुत आलेख में हरित ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। हाइड्रोजन ऊर्जा को हम जीवाश्म ईंधन का एक व्यावहारिक विकल्प के रूप में देख सकते हैं। इस ऊर्जा उत्पादन में एक चुनौती यह भी है कि इसे उच्च उत्पादन लागत, बुनियादी ढाँचे के विकास और सुरक्षा चिंताओं जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

हाइड्रोजन ऊर्जा का महत्व: Importance of Hydrogen Energy:

आज विश्व समुदाय जीवाश्म ईंधन का अनियंत्रित उपयोग कर रहा है। अनियंत्रित रूप से जीवाश्म ईंधन जलने के कारण होने वाले मौजूदा वैश्विक जलवायु संकट पर तत्काल ध्यान देने और निर्णायक पहल करने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल का कहना है कि बदलते जलवायु पैटर्न और इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा या अन्य पर्यावरण हितैषी ऊर्जा उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यक है। इस संदर्भ में निश्चित रूप से हाइड्रोजन एक स्वच्छ और पर्यावरण हितैषी ऊर्जा विकल्प के रूप में हमारे समक्ष उपलब्ध है। हाइड्रोजन ऊर्जा के महत्व पर Zeki Yilmazoglu अपने शोध आलेख में लिखते हैं कि “निकट भविष्य में विश्व ऊर्जा प्रक्षेपण में हाइड्रोजन और हाइड्रोजन से संबंधित प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में रुचि भी बढ़ेगी, खासकर स्मार्ट सिटी अवधारणा और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि के कारण। स्वच्छ ऊर्जा स्रोत होने के अलावा, हाइड्रोजन की 100% नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति की प्रवृत्ति इसे अन्य वैकल्पिक ईंधनों से आगे रखती है।” (Zeki Yilmazoglu (2022)

अत: कहने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए कि जैसे आर्गेनिक अपशिष्ट से ऊर्जा का उत्पादन पर्यावरण हितैषी है, उसी प्रकार हाइड्रोजन ऊर्जा उत्पादन द्वारा हम अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की कार्बन उत्सर्जन क्षमता को कम कर सकते हैं क्योंकि हाइड्रोजन ऊर्जा एक शून्य उत्सर्जन विकल्प प्रदान करता है। 

हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं का कार्य सिद्धांत: Working principle of hydrogen fuel cells:

हाइड्रोजन ईंधन सेल एक विद्युत रासायनिक उपकरण है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उपयोग करके रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। ईंधन सेल के मूल सिद्धांत में कैथोड, एनोड और इलेक्ट्रोलाइट शामिल हैं। इस हाइड्रोजन ईंधन कार्य प्रणाली को स्पष्ट करते हुए Lu Guoqiang लिखते है कि “हाइड्रोजन ईंधन सेल की प्रणाली लिथियम बैटरी की तुलना में अधिक जटिल है, जो मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक स्टैक और सिस्टम घटकों से बनी होती है। बैटरी सिस्टम के लिए, मुख्य भाग इलेक्ट्रिक स्टैक है, जिसमें बैटरी सेल और कलेक्टर प्लेट, एंड प्लेट, सीलिंग रिंग और अन्य घटक शामिल हैं, जिनमें से बैटरी सेल मुख्य है, जिसमें झिल्ली इलेक्ट्रोड और द्विध्रुवीय प्लेट शामिल हैं। झिल्ली इलेक्ट्रोड हाइड्रोजन ईंधन सेल के लिए मुख्य घटक है, जिसमें आम तौर पर एनोड गैस प्रसार परत, एनोड उत्प्रेरक परत, प्रोटॉन एक्सचेंज झिल्ली, कैथोड उत्प्रेरक परत और कैथोड गैस प्रसार परत शामिल होती है और झिल्ली इलेक्ट्रोड सेल की शक्ति घनत्व, स्थायित्व और साथ ही जीवनकाल का निर्धारक होता है। हाइड्रोजन ईंधन सेल एक दहन स्थिति है जहां हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को हाइड्रोजन ऊर्जा को बिजली में बदलने के लिए प्रतिक्रिया करने की अनुमति दी जाती है।” (Lu Guoqiang 2023)

हाइड्रोजन ईंधन सेल में ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया निःसंदेह जटिल है किंतु उसे निम्नलिखित तरीकों से समझा जा सकता है।

  • हाइड्रोजन आपूर्ति: हाइड्रोजन गैस को ईंधन सेल के एनोड की तरफ प्रवाहित की जाती है। जब हाइड्रोजन गैस एनोड तक पहुचती है तब ‘एनोड’ पर हाइड्रोजन के अणु एक उत्प्रेरक प्लेटिनम द्वारा दो भागों में विभाजित हो जाते हैं। एक भाग को प्रोटॉन (H+) कहा जाता है और दूसरे को इलेक्ट्रॉन (e-) कहा जाता है।
  • इलेक्ट्रॉन प्रवाह: हाइड्रोजन अणु का जो दूसरा भाग इलेक्ट्रॉन हैं, वे आम तौर पर बाहरी सर्किट से होकर गुजरते हैं, जिससे बिजली उत्पादित होती है। यह एक प्रकार का विद्युत प्रवाह होता है। इस विद्युत प्रवाह का उपयोग विद्युत उपकरणों या वाहनों को बिजली की आपूर्ति करने के लिए किया जा सकता है।
  • प्रोटॉन गति: अब जो हाइड्रोजन का प्रथम भाग था जिसे प्रोटॉन कहा जाता है। वे प्रोटॉन (H+) इलेक्ट्रोलाइट झिल्ली के माध्यम से ईंधन सेल के ‘कैथोड’ की तरफ यात्रा करते हैं।
  • ऑक्सीजन अभिक्रिया: ‘कैथोड’ की ओर जब हवा से ऑक्सीजन (O2), प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों बहते हैं और इन तीनों से जल अणु (H2O) बनते हैं। हाइड्रोजन कार्य प्रणाली में उत्पादित होने वाला यह अंतिम उत्पाद होता है।

हाइड्रोजन उत्पादन की विधियाँ: Methods of Hydrogen Production:

आज विश्व में उत्पादन किया जाने वाला अधिकांश हाइड्रोजन विभिन्न प्रकार के जीवाश्म ईंधनों से किया जा रहा है। हाइड्रोजन की उत्पादन प्रक्रिया के आधार पर हाइड्रोजन को अनेक श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। जैसे कि हरा, नीला, पीला, गुलाबी, फ़िरोज़ा, भूरा, काला, सफ़ेद और ग्रे आदि। हाइड्रोजन का जो रंग होता है वह उसकी उत्पादन विधि और विनिर्माण प्रक्रिया से संबंधित है। हाइड्रोजन रंग के आधार पर ही उसकी गुणवत्ता और शुद्धता को पहचाना जाता है।

विभिन्न प्रकार के हाइड्रोजन के संदर्भ में Arcos, J.M.M.; Santos, D.M.F. अपने शोध आलेख में लिखते हैं कि “हाइड्रोजन ग्रे, जो अब तक का सबसे आम प्रकार है, मुख्य रूप से अमोनिया उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है और इसकी 40% मात्रा रासायनिक प्रक्रियाओं से आती है। गुलाबी, हरा और पीला हाइड्रोजन विभिन्न ऊर्जा स्रोतों के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित किया जाता है, जबकि फ़िरोज़ा हाइड्रोजन द्वारा उत्पादित किया जाता है मिथेन का पायरोलिसिस, जो थर्मल, कैटेलिटिक या प्लाज्मा जमाव द्वारा हो सकता है। भूरे और काले हाइड्रोजन का उत्पादन गैसीकरण द्वारा किया जाता है और रंग उपयोग किए जाने वाले कोयले के प्रकार से मेल खाता है; प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के कारण यह उत्पादन विधि लोकप्रिय है। ग्रे और नीले हाइड्रोजन का उत्पादन भाप सुधार द्वारा किया जाता है। नीले हाइड्रोजन में कार्बन कैप्चर और भंडारण का उपयोग शामिल है, और जीवाश्म ईंधन से उत्पादित होने के कारण, वर्तमान में हरे हाइड्रोजन की तुलना में कम लागत है।” (Arcos, J.M.M.; Santos, D.M.F. 2023)

  • ‘ग्रीन’ हाइड्रोजन:  इसे सौर, पवन या जल विद्युत जैसे नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न बिजली का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पादित किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की इस विधि को पूरी तरह से शून्य कार्बन उत्सर्जन के रूप में देखा जाता है। यही शून्य कार्बन उत्सर्जन विशेषता ग्रीन हाइड्रोजन को डीकार्बोनाइज्ड ऊर्जा प्रणाली के अभिन्न घटक की श्रेणी में शामिल कराती है। 
  • ‘ब्लू’ हाइड्रोजन: इसका उत्पादन जीवाश्म ईंधन और प्राकृतिक गैस से स्टीम मीथेन रिफॉर्मिंग (SMR) का उपयोग करके किया जाता है। ब्लू हाइड्रोजन में उत्पादन के दौरान उत्पन्न CO2 उत्सर्जन होता है। इस कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीक द्वारा संग्रहण कर लिया जाता है और उसका उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
  • ‘ग्रे’ हाइड्रोजन: इसका उत्पादन मुख्य रूप से स्टीम मीथेन रिफॉर्मिंग (SMR) के माध्यम से प्राकृतिक गैस से किया जाता है। ‘ग्रे’ हाइड्रोजन उत्पादन की इस प्रक्रिया में भी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन होता है। यह ‘ब्लू’ हाइड्रोजन के समान ही है लेकिन इसमें कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग नहीं किया जाता है। अत: यह एक चुनौती भी है।
  • ‘गुलाबी’ हाइड्रोजन: गुलाबी हाइड्रोजन का उत्पादन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से किया जाता है। परमाणु-निर्मित हाइड्रोजन को बैंगनी हाइड्रोजन या लाल हाइड्रोजन भी कहा जाता है। 
  • ‘पीला’ हाइड्रोजन: यह पूरी तरह से सौर ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पादित होता है। इस विधि में बिजली उत्पन्न करने के लिए सौर पैनलों का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए किया जाता है। 

हाइड्रोजन ईंधन सेल के विभिन्न लाभ: Various Advantages of Hydrogen Fuel:

हाइड्रोजन ईंधन उपयोग के अनेक लाभ हैं। विशेष रूप से इसका लाभ पर्यावरण हितैषी ऊर्जा और संधारणीय विकास के संदर्भ में देखा जा सकता है।

  • शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: जब हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन सेल में किया जाता है तब हाइड्रोजन उप-उत्पाद के रूप में केवल पानी ही रह जाता है। अत: इसका उपयोग करने से शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। यही कारण है कि हाइड्रोजन ईंधन जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 
  • वायु प्रदूषण में कमी: हाइड्रोजन के दहन से सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड या पार्टिकुलेट मैटर जैसे कोई हानिकारक प्रदूषक उत्सर्जित नहीं होते हैं। अत: कहना न होगा कि इससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है। जब वायु शुद्ध होती है तब श्वसन संबंधी स्वास्थ्य जोखिम कम हो जाते हैं। अत: हाइड्रोजन का उपयोग विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों और औद्योगिक क्षेत्रों में स्वच्छ वातावरण को बनाए रखता है। 
  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी: हम हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम कर सकते हैं। इससे राष्ट्रीय ऊर्जा स्रोतों में विविधता आएगी। यही नहीं हाइड्रोजन राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा दे सकता है और वैश्विक ऊर्जा बाजार में भू-राजनीतिक व्यवधानों के प्रति संवेदनशीलता को भी कम कर सकता है।

हाइड्रोजन अनुप्रयोग की विभिन्न संभावनाएँ: Various possibilities of hydrogen application:

  • औद्योगिक प्रक्रियाएं: हाइड्रोजन का उपयोग विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसे रासायनिक संश्लेषण, इस्पात निर्माण, अमोनिया उत्पादन आदि में किया जा सकता है, जो जीवाश्म ईंधन आधारित प्रक्रियाओं के लिए एक स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त विकल्प प्रदान करता है।
  • परिवहन: हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन ट्रक, कार, ट्रेन, बस और यहाँ तक ​​कि विमान सहित शून्य उत्सर्जन परिवहन विकल्प प्रदान करते हैं। वे उप-उत्पाद के रूप में केवल जल वाष्प उत्सर्जित करते हैं और इसलिए ग्रीनहाउस गैसों और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग वैश्विक स्तर पर संधारणीय विकास को गति प्रदान करता है। United States Environmental Protection Agency द्वारा हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहनों के संदर्भ में कहा गया कि “हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन (FCV) इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के समान हैं, जिसमें वे पहियों को चलाने के लिए आंतरिक दहन इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करते हैं। जबकि EV बैटरी पर चलते हैं जिन्हें रिचार्ज करने के लिए प्लग इन करना पड़ता है, FCV अपनी बिजली ऑनबोर्ड उत्पन्न करते हैं। एक ईंधन सेल में, वाहन के ईंधन टैंक से हाइड्रोजन (H2) गैस हवा से ऑक्सीजन (O2) के साथ मिलकर प्रक्रिया के उप-उत्पादों के रूप में केवल पानी और गर्मी के साथ बिजली उत्पन्न करती है।” (EPA 2021)

हाइड्रोजन ईंधन अपनाने में चुनौतियाँ: Challenges in adopting hydrogen fuel:

उच्च उत्पादन लागत: वर्तमान में हाइड्रोजन के उत्पादन की लागत अपेक्षाकृत अधिक है, जो इलेक्ट्रोलाइजर की उच्च पूंजी लागत और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की महँगी प्रवृतियों से प्रभावित है। इलेक्ट्रोलाइजर की दक्षता में सुधार और लागत को कम करने के लिए तकनीकी प्रगति की आवश्यकता है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन और अन्य ऊर्जा स्रोतों को आर्थिक रूप से अधिक सस्ती बनाया जा सके।

बुनियादी ढांचे की कमी: हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और ईंधन भरने/वितरण सहित एक मजबूत बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है। जो अभी विकसित नहीं हो पाया है। इसलिए ऊर्जा बाजार में हाइड्रोजन का उपयोग कम हो रहा है। अत: हाइड्रोजन को प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में अपनाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाना आवश्यक है।

इलेक्ट्रोलिसिस में पानी के उपयोग की चिंताएँ: इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया में बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है। यह पानी की कमी वाले क्षेत्रों में एक चुनौती है। इस संदर्भ में International Renewable Energy Agency ने अपनी एक रिपोर्ट में पाया कि “पानी की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में हाइड्रोजन उत्पादन में पानी के उपयोग पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है, ताकि टिकाऊ और लचीले ऊर्जा और जल क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित किया जा सके।”(IRENA 2023)

सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और विनियामक आवश्यकताएँ: हाइड्रोजन गैस एक ज्वलनशील गैस है। इस गैस के उत्पादन, भंडारण और परिवहन के लिए कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल और विनियमन की आवश्यकता होती है। सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देने के लिए मज़बूत सुरक्षा मानकों और विनियमों को स्थापित करना और लागू करना बहुत आवश्यक है।

भारत का राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: National Green Hydrogen Mission of India:

भारत सरकार द्वारा संधारणीय विकास में हाइड्रोजन ऊर्जा भूमिका को पहचानते हुए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की गई है। सरकार की यह पहल ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और इस प्रकार एक नए, स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र के विकास के माध्यम से अर्थव्यवस्था की वृद्धि को बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को 4 जनवरी 2022 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसके उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • भारत को दुनिया में ग्रीन हाइड्रोजन का अग्रणी उत्पादक और आपूर्तिकर्ता देश बनाना।
  • ग्रीन हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों के लिए निर्यात के अवसरों का सृजन करना।
  • आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी लाना।
  • स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास करना।
  • उद्योग के लिए निवेश और व्यावसायिक अवसरों को आकर्षित करना।
  • रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर पैदा करना।
  • अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का समर्थन करना।

2030 तक मिशन के अनुमानित लक्ष्य:

  • देश में लगभग 125 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास करना।
  • कुल निवेश में आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ोतरी करना।
  • छह लाख से अधिक नौकरियों का सृजन करना।
  • जीवाश्म ईंधन आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी करना।
  • लगभग 50 एमएमटी वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी करना।”(हरित हाइड्रोजन मिशन 2022)

भविष्य में हाइड्रोजन ईंधन की संभावनाएँ: Future prospects of hydrogen fuel:

भारत में हाइड्रोजन को मुख्यधारा का ऊर्जा स्रोत बनाने के लिए, कई प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है, जिसमें उच्च उत्पादन लागत, बुनियादी ढाँचा विकास और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ शामिल हैं। चूँकि हाइड्रोजन में स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण क्षमता है, इसलिए इसके व्यापक रूप से अपनाए जाने पर सरकार और निजी दोनों क्षेत्रों का ध्यान देने की आवश्यकता है। 

इस दिशा में सरकार और निजी क्षेत्र को कुछ विशेष राजनीति के साथ आगे बढ़ना होगा जिसके अन्तर्गत उत्पादन लागत कम करना, बुनियादी ढाँचे का विकास, सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का समाधान और आपसी सहयोग तथा नीति समर्थन आदि को शामिल करने की आवश्यकता है। 

निष्कर्ष: Conclusion: 

हाइड्रोजन ईंधन एक स्वच्छ ऊर्जा, प्रदूषण मुक्त गैस है। हाइड्रोजन ईंधन में परिवहन, उद्योग और ऊर्जा भंडारण सहित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को कार्बन उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है। शून्य-उत्सर्जन ईंधन के रूप में यह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक स्थायी ऊर्जा भविष्य का मार्ग प्रदान करता है।

हाइड्रोजन ईंधन ऊर्जा विकास में अभी भी महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं किंतु हम उन चुनौतियों का समाधान भी कर सकते हैं। इन चौनैतियों का सामान करने के लिए हमें नीतियों और प्रोत्साहनों के माध्यम से सरकारी समर्थन, नवाचार और निवेश को बल देने और मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इस प्रकार हम चुनौतियों का समाधान करके और इस बहुमुखी ऊर्जा वाहक की क्षमता का लाभ उठाकर, हम एक स्वच्छ, अधिक टिकाऊ और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। 

संदर्भ: Refrens: 

 

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