बीमार हो रहें हैं; धरती के हरे फेफड़े अर्थात वृक्ष Amliy varsha ke prabhav

पेड़-पौधे दिन के समय अपना भोजन बनाने की प्रक्रिया में हमारी प्राण वायु (ऑक्सीजन) छोड़ते हैं। इसीलिए इन्हें धरती के हर फेफड़े कहा जाता है। यदि पेड़ पौधे हम इंसानों की तरह बोल पाते तो वे अनुच्छेद-226 के तहत उच्च न्यायालय अथवा अनुच्छेद-32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में अपील करते कि हमारे प्राकृतिक अधिकारों का हनन हो रहा है। लेकिन वृक्षों के पास भाषा नहीं है। इसलिए वे उन पर हो रहे अत्याचारों की कहानी नहीं सुना सकते। दरअसल बात यह है कि पेड़-पौधों को भी हमारी ही तरह स्वच्छ हवा और स्वस्थ पर्यावरण की आवश्यकता होती है। यदि उन्हें स्वच्छ हवा नहीं मिलती है, तो वे मनुष्य के समान ही तड़पते हैं और दुखी भी होते हैं। प्रस्तुत शोध-आलेख में हमने Amliy varsha ke prabhav पर चर्चा करने का प्रयास किया है।

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पृथ्वी पर जीवन के संदर्भ में वृक्षों का महत्व: Importance of trees in the context of life on earth

पृथ्वी पर जीवन को जीने योग्य और गुणवत्ता युक्त बनाने में वृक्षों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि वृक्ष हमारे लिए पर्यावरण संतुलन को बनाए रखते हुए हमारी प्राण वायु (ऑक्सीजन) का उत्पादन करते हैं। वृक्ष हमारी हवा को शुद्ध करते हैं और वातावरण को संतुलित रखते हैं। वे मनुष्य के लिए ही नहीं बल्कि वन्य-जीवों के आवास के रूप में भी अपनी भूमिका निभाते हैं। वृक्ष वातावरण की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़कर ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करते हैं। एक वृक्ष कई लोगों के लिए वर्ष भर उपयोग की जाने वाली ऑक्सीजन का उत्पादन करता है।

यूनाइटेड किंगडम की Trafford Council द्वारा वृक्षों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लिखा गया है कि “हाल के शोध से पता चलता है कि पेड़ आधुनिक जीवन के तनाव को कम करने में भी मदद करते हैं। पेड़ अपने आप में पर्यावरण और परिदृश्य को लाभ पहुंचाते हैं, लेकिन वे वन्य जीवन और जैव-विविधता को लाभ प्रदान करने वाले पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग भी हैं। पेड़, विशेष रूप से पुराने या वयोवृद्ध पेड़ और समूहों या वुडलैंड्स में, देशी ज़मीनी वनस्पतियों जैसे ब्लूबेल्स और जीवों, विशेष रूप से चमगादड़, लाल गिलहरियों और अकशेरुकी जीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं।” www.Trafford.gov.uk

हमारे जीवन के लिए इतने महत्वपूर्ण वृक्षों को आज हमारे द्वारा ही की जाने वाली अनुचित क्रियाओं के कारण दुःख झेलना पड़ रहा है। वे विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। इन प्रदूषणों में एक प्रदूषण है, अम्लीय वर्षा। इस वर्षा के कारण आज वृक्ष कई प्रकार से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। अर्थात वे बीमार हो रहे हैं।

आज पर्यावरण चक्र में कैसे परिवर्तन हो रहा है आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

अम्लीय वर्षा का परिचय: Introduction to Acid Rain

आमतौर पर यह समझा जाता है कि अम्लीय वर्षा में 100% अम्ल होता है लेकिन ऐसा नहीं है। अम्लीय वर्षा की रासायनिक प्रकृति में थोड़ा-सा अम्ल होता है लेकिन यही अम्ल अन्य प्रदूषण गैसों से घुलकर खतरनाक बन जाता है। हवा, पानी और धूप में सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड का ऑक्सीकरण हो जाता है, जिसके कारण गंधक के अम्ल और नाइट्रोजन के अम्ल निर्माण होते हैं। आगे यही अम्ल धूप में कई प्रकार के रासायनिक प्रक्रियाओं के कारण ओजोन गैस भी बनते हैं।
विकिपीडिया पर अम्लीय वर्षा की परिभाषा दी गई है कि “‘एसिड रेन’ एक लोकप्रिय शब्द है, जो गीले (बारिश, बर्फ, ओलावृष्टि, कोहरा, बादल का पानी और ओस) और सूखे (अम्लीय कणों और गैसों) अम्लीय घटकों के मिश्रण के जमाव को संदर्भित करता है।” en.m.Wikipedia.org

अम्लीय वर्षा का सूत्र क्या है? What is the formula for acid rain?

इस सवाल का उत्तर विकिपीडिया के अनुसार पानी की उपस्थिति में, सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO3) तेजी से सल्फ्यूरिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है: जिसका सूत्र है SO3 (g) + H2O (l) → H2SO4 (aq) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड OH के साथ प्रतिक्रिया करके नाइट्रिक एसिड बनाता है: यह वायु प्रदूषण की प्रक्रिया को दर्शाता है। जिसे वायुमंडल में छोड़ा जा रहा है और जिससे अनेक क्षेत्र प्रभावित होंगे।

अम्लीय वर्षा का pH मान क्या होता है? What is the pH value of acid rain?

Environmental Protection Agency के अनुसार “किसी पदार्थ का pH (7 से कम) जितना कम होगा, वह उतना ही अधिक अम्लीय होगा; किसी पदार्थ का pH जितना अधिक (7 से अधिक) होगा, वह उतना ही अधिक क्षारीय होगा। सामान्य बारिश का pH लगभग 5.6 होता है; यह थोड़ा अम्लीय है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 ) इसमें घुलकर कमजोर कार्बोनिक एसिड बनाता है। अम्लीय वर्षा का पीएच आमतौर पर 4.2 और 4.4 के बीच होता है।” www.epa.gov

अम्ल वर्षा के क्या कारण हैं? What causes acid rain?

अम्ल वर्षा हेतु कई यौगिक उत्तरदाई होते हैं और इन यौगिकों के स्रोत भी कई प्रकार के होते हैं।  इन स्रोतों में प्राकृतिक स्रोत और मानव निर्मित स्रोत होते हैं। 

अम्लीय वर्षा के लिए कौन-सी गैसें उत्तरदायी हैं? Which gases are responsible for acid rain?

  • अम्लीय वर्षा के लिए सल्फर sulphur, नाइट्रोजन nitrogen, मीथेन methane (CH4), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), फार्मिक अम्ल formic acid, और अमोनिया आदि गैस विभिन्न गैसें उत्तरदाई होती हैं।

‘सल्फर’ अम्लीय गैस उत्सर्जन के स्रोत:

  • प्राकृतिक स्रोत: सागर, ज्वालामुखी उद्गार, प्लेंकटन एवं वनस्पतियों के सड़ने से, मृदा में जैविक प्रक्रिया जैसे कार्बनिक पदार्थ का अपघटन, मृदा में जीवाणुओं की क्रिया द्वारा भी सल्फर गैस का उत्सर्जन होता है।
  • मानव जनित स्त्रोत: कोयले का जलना (SO2 का 60%), पेट्रोलियम पदार्थ (SO2 का 30%), शुद्ध धातु जैसे आयरन एवं स्टील प्राप्त करने हेतु धात्विक सल्फाइड अयस्क को गलाना, कच्चे तेल का परिशोधन, धातुशोधन (metallurgy), रासायनिक और उर्वरक उद्योगों में सल्फ्यूरिक अम्ल का उत्पादन आदि मानवजानित स्रोत हैं।

नाइट्रोजन अम्लीय गैस उत्सर्जन के स्रोत:

  • प्राकृतिक स्रोत: आकाशीय विद्युत lighting, ज्वालामुखी उद्गार, जैविक गतिविधियाँ आदि नाइट्रोजन उत्सर्जन के प्राकृतिक स्रोत हैं।
  • मानव जनित स्रोत: वनाग्नि forest fires, तेल, कोयला और गैस का दहन (जीवाश्म ईंधन) आदि नाइट्रोजन के मानवजनित स्रोत हैं।

मिथेन अम्लीय गैस उत्सर्जन के स्रोत:

  • प्राकृतिक स्रोत: आर्द्रभूमि, पशु, दीमक 
  • मानव जनित स्त्रोत; धान के खेत, कोयला खनन, गैस ड्रिलिंग

कार्बन डाइऑक्साइड अम्लीय गैस उत्सर्जन के स्रोत:

  • प्राकृतिक स्रोत: जीवजनन (biogenesis), ज्वालामुखी 
  • मानव जनित स्त्रोत: बायोमास का जलना, औद्योगिक स्त्रोत, धूम्रपान

फार्मिक अम्ल उत्सर्जन के स्रोत:

  • मानव जनित स्त्रोत: जंगल की आग के कारण बायोमास के जलने से फार्मिक अम्ल (HCOOH) एवं फोरमलडायहड formaldehyde-(HCHO) का उत्सर्जन वातावरण में होता है।

अमोनिया का उत्सर्जन कृषि कार्य के द्वारा होता है।

अम्लीय वर्षा की प्रक्रिया: Process of Acid Rain

अम्लीय वर्षा अचानक नहीं हो जाती है, इसके कई चरण अथवा एक व्यवस्थित प्रक्रिया होती है। USA Environmental Protection Agency के अनुसार “अम्लीय वर्षा तब होती है जब सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX) वायुमंडल में उत्सर्जित होते हैं और हवा और वायु धाराओं द्वारा ले जाए जाते हैं। SO2 और NOX पानी, ऑक्सीजन और अन्य रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करके सल्फ्यूरिक और नाइट्रिक एसिड बनाते हैं। ये जमीन पर गिरने से पहले पानी और अन्य सामग्रियों के साथ मिल जाते हैं।” www.epa.gov

  • अम्लीय गैस उत्सर्जन के उपर्युक्त विभिन्न प्राकृतिक और मानव जनित स्रोतों द्वारा सल्फर डाइऑक्साइड SO2 और नाइट्रोजन  ऑक्साइड NOX गैसों का उत्सर्जन हवा में होता है।
  • यह प्रदूषण अम्ल कणों में परिवर्तित हो जाते हैं, जिन्हें हवा के द्वारा लंबी दूरी तक ले जाया जा सकता है।
  • यह अम्ल कण गीले अथवा सूखे जमाव जैसे धूल, बारिश, बर्फ आदि के रूप में पृथ्वी पर गिरते हैं अथवा जल के साथ मिश्रित होकर वर्षा होती है।
  • ये अम्लीय कण अम्ल वर्षा के माध्यम से मिट्टी, जंगलों, झरनों तथा झीलों में मिश्रित हो जाते हैं और हानिकारक प्रभाव डालते हैं। 
  • मृदा में अम्लीय वर्षा के कण पेड़-पौधों की जड़ों के माध्यम से पेड़ों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

 

Amliy varsha ke prabhav

अम्लीय वर्षा का वृक्षों या वनस्पतियों पर प्रभाव: Effect of acid rain on trees or vegetation. Amliy varsha ke prabhav

effect of acid rain on trees वनस्पतियों पर अम्लीय वर्षा के अनेक नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। अम्लीय वर्षा न केवल वनस्पतियों के लिए हानिकारक है बल्कि जीव-जंतु और मानव सभ्यता के लिए भी एक अभिशाप के समान है। यहाँ वनस्पतियों पर अम्लीय वर्षा के कुछ प्रभावों को दर्शाया गया है।  

  • जब ये सभी प्रदूषण पानी में घुलकर वर्षा के रूप में बरसते हैं, तो न केवल प्राकृतिक वनस्पतियों को बल्कि मानव निर्मित संपत्तियों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। 
  • वैज्ञानिकों ने यह भी अपने शोध में पाया है कि प्रदूषण का स्रोत वृक्षों से जितना दूर होगा उतना ही पेड़ों-पौधों पर प्रभाव काम पड़ेगा। जैसे-जैसे प्रदूषण स्रोत से दूरी बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे हवा में प्रदूषण की सांद्रता कम होती जाएगी। यही कारण है कि विभिन्न प्रकार की फैक्ट्री के समीप पेड़-पौधे मुरझाए हुए अथवा उनकी पत्तियाँ सिमटी हुई दृष्टिगोचर होती हैं। सड़कों के किनारे जो वृक्ष होते हैं, वे भी मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण प्रभावित होते हैं। 
  • कई शोध यह भी कहते हैं कि इन प्रदूषकों के कारण पौधे अपना भोजन बनाने की प्रक्रिया को ठीक नहीं कर पाते हैं। अर्थात वृक्षों को प्रकाश संश्लेषण करने में बाधा आती है। ओजोन गैस पत्तियों के हर ऊतकों को नुकसान पहुंचती है। बड़े-बड़े वृक्ष फिर भी इन आपदाओं का सामना कर लेते हैं लेकिन छोटे पौधें इन प्रदूषकों के कारण मरणासन्न दशा में पहुंच जाते हैं। इसी कारण आलू, टमाटर, गेहूं, कपास जैसी फसलों पर इन प्रदूषकों का अधिक प्रभाव देखने को मिलता है। 
  • अम्लीय वर्षा के कारण पेड़-पौधों की उन्नति रुक जाती है। उनकी प्रजनन क्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। हवा में उपस्थित ऑक्सीएसीटिल नाइट्रेट नामक प्रदूषण अभी-अभी निकले कोंपलों को नुकसान पहुंचता है। 
  • वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि हवा में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने से पौधा बाहरी रूप से हरा भरा तो दिखाई देता है लेकिन उसके स्त्रीकेसर और पुंकेसर में बांझपन आ सकता है। उस वृक्ष के बीज कम बन सकते हैं अथवा नहीं भी बन सकते हैं। फलत: फसलों की उत्पादकता कम हो जाती है। 
  • अम्लीय वर्षा मिट्टी में अम्ल को घोल  देती है। इससे एक नुकसान तो यह होता है कि मिट्टी के पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं। दूसरा नुकसान यह होता है कि यह वर्षा अल्युमिनियम तथा अन्य खतरनाक धातुओं को पेड़-पौधों तक पहुंचा देती है। यद्यपि यह खतरनाक तत्व मिट्टी में पहले से मौजूद रहते हैं, पर पानी में न घुलने के कारण पेड़-पौधों तक नहीं पहुंच पाते हैं। अम्लीय वर्षा इस रुकावट को समाप्त कर देती है और वनस्पतियों के जड़ में इन तत्वों को प्रवेश करा देती है। फलत: पेड़-पौधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 

USA की Environmental Protection Agency के अनुसार “अम्लीय वर्षा से प्रभावित क्षेत्रों में मृत या मरते हुए पेड़ एक आम दृश्य हैं। अम्लीय वर्षा से मिट्टी से एल्युमीनियम निकल जाता है। एल्युमीनियम पौधों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी हानिकारक हो सकता है। अम्लीय वर्षा मिट्टी से उन खनिजों और पोषक तत्वों को भी हटा देती है, जिनकी पेड़ों को बढ़ने के लिए आवश्यकता होती है। अधिक ऊंचाई पर, अम्लीय कोहरा और बादल पेड़ों के पत्तों से पोषक तत्व छीन सकते हैं, जिससे उनमें भूरे या मृत पत्ते और सुइयाँ रह जाती हैं। फिर पेड़ सूरज की रोशनी को अवशोषित करने में कम सक्षम हो जाते हैं, जिससे वे कमजोर हो जाते हैं और ठंडे तापमान को सहन करने में कम सक्षम हो जाते हैं।” https://www.epa.gov

  • अम्लीय वर्षा का प्रभाव नदियों, झीलों तथा जलीय जीवों पर भी नकारात्मक रूप से पड़ता है। जल में विकसित वनस्पतियों को नष्ट कर देती है। 
  • अम्ल वर्षा वन के वृक्षों और झाड़ियों को कई तरह से नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। जिसके फलस्वरुप पेड़ों की वृद्धि में कमी या असामान्य रूप से वृद्धि हो सकती है। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं, जैसे पत्तियों का रंग फीका पड़ जाना, शंकु धारी वृक्ष के नुकीलेदार पत्तों में समय पूर्व उम्रवृद्धि, प्रभावित पेड़ों की मृत्यु और प्रभावित पेड़ों के नीचे के शाकीय पादपो की मृत्यु हो जाती है।  “1993 में 27 यूरोपीय देशों में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि सर्वेक्षण किए गए 100,000 पेड़ों में से 23 प्रतिशत में  वायु प्रदूषण से क्षति या मृत्यु हुई। यह संभावना है कि गिरावट कई कारकों का परिणाम थी, जिसमें एसिड जमाव (उदाहरण के लिए, मिट्टी का अम्लीकरण और बफरिंग क्षमता का नुकसान, विषाक्त एल्यूमीनियम का एकत्रीकरण, पत्ते पर एसिड का सीधा प्रभाव) आदि । ” www.britannica.com

अम्लीय वर्षा से निपटने के लिए सुझाव: Tips to deal with acid rain

अम्लीय वर्षा से निपटने के लिए, हमें युद्ध स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने हेतु विश्व सरकारों को एक ऐसी रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है, जो वास्तव में लागू हो सके। उस नीति का सौ प्रतिशत क्रियान्वयन निश्चित हो सके। आज तक नीतियाँ तो बनी हैं लेकिन उन नीतियों का अधिकांश विश्व की सरकारें अपने अनुकूल गला घोंटती आयी हैं। इसलिए सरकारी गैर-सरकारी संगठनों के साथ-साथ हम सब को जागरूक बनकर प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। इस महान क्रांतिकारी आंदोलन में तन, मन, धन से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष: Conclusion 

कहना न होगा कि Amliy varsha ke prabhav वनस्पतियों पर नकारात्मक रूप से पड़ता है। आज मानव सभ्यता विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एवं मानवजनित आपदाओं का सामाना कर रही है। इन आपदाओं में अम्लीय वर्षा की आपदा भी एक प्रकार की प्राकृतिक कम और मानवजनित अधिक है। इसे मानव अपनी अनुचित प्राकृति दोहन नीति को बदल कर ही कम कर सकता है लेकिन ऐसी आपदाओं को कम करने के वास्तविक प्रयत्न नहीं हो पाते हैं। हमने इस शोध आलेख में वृक्षों के महत्व और अम्लीय वर्षा का परिचय, परिभाषा, प्रक्रिया तथा प्रभाव के बारे में चर्चा की है। वृक्षों के संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से हम अम्लीय वर्षा के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रख सकते हैं।

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