Saur urja plate सौर ऊर्जा की नवीनतम तकनीकियाँ: जाने इसके लाभ और लागत Latest Solar Energy Technologies: Know Its Benefits and Costs

आलेख का सार Abstract: 

This research article covers the following topics यह शोध आलेख निम्नलिखित विषयों को कवर करता है hide

Saur urja plate में विश्व को संधारणीय बनाने की क्षमता है क्योंकि Saur urja plate कभी समाप्त न होनेवाली सूर्य किरणों का उपयोग ऊर्जा निर्माण हेतु करती है। जब आज विश्व विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच हरित विश्व निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऐसे समय में सौर ऊर्जा क्षेत्र मुख्य तकनीक बनकर उभरा है। विश्व विकास की यात्रा में ऊर्जा संबंधी मांग की पूर्ति करने की क्षमता से युक्त सौर ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक संभावनाएँ विद्यमान हैं। हाइड्रोजन ईंधन सेल जिस प्रकार हरित ऊर्जा का विकल्प है, उसी प्रकार सौर ऊर्जा भी एक विकल्प है। आज विश्व ऊर्जा संकट, जीवाश्म ईंधनों की सीमित उपलब्धता और जलवायु परिवर्तन की व्यापक चुनौतियों के बीच सौर ऊर्जा हमें एक हरित पथ पर आगे बढ़ाता है। सौर ऊर्जा विकास में कुछ चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जैसे की अत्यधिक प्रारंभिक लागत लेकिन समय के साथ तकनीकी विकास के फलस्वरूप इन चुनौतियों का भी समाधान होगा। नवीनतम शोधों, नवाचारों और तकनीकी विकास के परिणामस्वरूप सौर ऊर्जा क्षेत्र में दक्षता, उत्पादन और लागत में लाभ प्राप्त हुआ है। प्रस्तुत आलेख में वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग, आर्थिक, नीतिगत और व्यावहारिक दृष्टिकोण से सौर ऊर्जा की नवीनतम तकनीकों और उनकी लागत प्रभावशीलता पर विचार करने का प्रयास किया गया है।

पारंपरिक और उन्नत फोटोवोल्टिक तकनीक का परिचय Traditional vs. Advanced Photovoltaic Technology:

सोलर पैनल Saur urja plate मुख्य रूप से फोटोवोल्टिक (PV) सेल पर आधारित होते हैं, जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित कर सीधे बिजली में बदलते हैं। पारंपरिक सोलर पैनलों में सिलिकॉन-आधारित सौर कोशिकाएँ उपयोग की जाती हैं लेकिन जैसे-जैसे नवीनतम तकनीकों का विकास हो रहा है, वैसे वैसे उनकी दक्षता और प्रदर्शन में सुधार किया जा रहा है, जिसका परिणाम यह हुआ है कि सौर ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि हुई है। वर्तमान समय में प्रचलित विभिन्न पीवी प्राद्योगिकियों पर विचार करते हुए Mahmoud Zendehdel लिखते हैं किवर्तमान पीवी प्रौद्योगिकियों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: (1) वेफर-आधारित (2) पतली फिल्म सेल। वेफर-आधारित सेल अर्ध-चालक वेफर पर निर्मित होते हैं और उन्हें अतिरिक्त सब्सट्रेट के बिना संभाला जा सकता है, जबकि मॉड्यूल आमतौर पर यांत्रिक स्थिरता और अधिक सुरक्षा में सुधार के लिए कांच से ढके होते हैं। पतली फिल्म सेल में अर्धचालक परतें होती हैं जिन्हें प्लास्टिक, कांच या धातु जैसे विभिन्न सब्सट्रेट पर जमा किया जा सकता है।” (Mahmoud Zendehdel and team 2020, page-2)

  • पारंपरिक सोलर पैनल: पारंपरिक सोलर पैनल Saur urja plate के अन्तर्गत एक है, मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल जो बीस प्रतिशत से अधिक दक्षता के साथ ऊर्जा उत्पादन करते है लेकिन ये पैनल महंगे होते हैं। पारंपरिक सोलर पैनल का दूसरा प्रकार है, जो सस्ता होता है किन्तु ऊर्जा उत्पादन में कम दक्षता को दर्शाते हैं। जिसे पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कहा जाता है। ये पैनल पंद्रह से अट्ठारह प्रतिशत कम ऊर्जा दक्षता दिखाते हैं।
  • उन्नत फोटोवाल्टिक तकनीक: इस तकनीक के अन्तर्गत हम PERC (Passivated Emitter and Rear Cell) सोलर सेल को शामिल कर सकते हैं। यह एक ऐसी तकनीक है, जिसे सोलर पैनल के पीछे जोड़ा जाता है और यह सूर्य के किरणों को परावर्तित करती है। फलत: अधिक ऊर्जा का उत्पादन होता है। इसीलिए इस परत को परावर्तक परत भी कहा जाता है। उन्नत तकनीक के अन्तर्गत और एक तकनीक है, जिसे TOPCon (Tunnel Oxide Passivated Contact) तकनीक कहा जाता है। यह PERC से भी अधिक ऊर्जा उत्पादन करने में सोलर पैनल को सहायता करती है। 

कहने का तात्पर्य यह है कि आज वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा विकास के व्यापक प्रयास हो रहे हैं। नई-नई तकनीकियों का विकास किया जा रहा है ताकि सौर प्रकाश का अधिक से अधिक उपयोग किया जा सके। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हाल ही में विकसित विभिन्न तकनीकियों का परिचय देते हुए Mahmoud Zendehdel और उनकी टीम द्वारा लिखा गया है कि “हाल ही में, सामग्री खोज और डिवाइस इंजीनियरिंग में गहन अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के परिणामस्वरूप कई नई पतली फिल्म पी.वी. तकनीकें उभरी हैं। उभरती हुई प्रमुख पतली फिल्म पी.वी. तकनीकों को 5 तकनीकों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं, (1) कॉपरजिंक टिन सल्फाइड (Cu2ZnSnS4, या CZTS), (2) पेरोव्स्काइट सोलर सेल (PSCs), (3) ऑर्गेनिक फोटोवोल्टिक्स (OPV), (4) डाई-सेंसिटाइज़्ड सोलर सेल (DSCs) (5) कोलाइडल क्वांटमडॉट फोटोवोल्टिक्स (QDPV)।” (Mahmoud Zendehdel and team 2020 page- 4) आइए हम इन सभी विकसित तकनीकियों पर विचार करते हैं।

पेरोव्स्काइट सोलर सेल (Saur urja plate) Perovskite Solar Cells:

यह सौर ऊर्जा उत्पादन की ऐसी तकनीक है, जो कम लागत में अधिक उत्पादन करती है किंतु यह अभी पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाई है। इस पेरोव्स्काइट सेल (CaTiO3) की संरचना पर आधारित है। इस तकनीकी के संदर्भ में Rabhi Selma और उनकी टीम द्वारा लिखा गया कि “पेरोवस्काइट सौर सेल (PSCs) जैसे नवाचार क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी क्रिस्टलीय संरचना के लिए, पेरोवस्काइट को नाम दिया गया है, और उनके असाधारण प्रकाश अवशोषण और ऊर्जा रूपांतरण दक्षता के कारण, वे फोटोवोल्टिक सौर कोशिकाओं के क्षेत्र में उभरे हैं, क्योंकि सस्ते संश्लेषण और कम ऊर्जा-गहन प्रक्रियाओं के निर्माण के कारण वे पारंपरिक सिलिकॉन-आधारित सौर कोशिकाओं के विपरीत अधिक टिकाऊ हैं।” (Rabhi Selma and team 2025) यह एक ऐसा नया प्रकार है, जो सौर ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार को बल देता है। यह तकनीक सिलिकॉन-आधारित सेल की तुलना में कम लागत और अधिक दक्षता के साथ ऊर्जा का उत्पादन करती है। इस तकनीक की ऊर्जा उत्पादन दक्षता सिलिकॉन आधारित सेल से 26% से अधिक है। कम लागत में लचीला, हल्के डिजाइन वाली यह तकनीक निकट भविष्य में व्यापक उपयोगी हो सकती है। अपने विकास के चरण में होने के कारण इस तकनीक की स्थायित्व को लेकर अभी भी संदेह विद्यमान हैं।

बाइफेसियल सोलर पैनल (Saur urja plate) Bifacial Solar Panels:

परंपरागत सोलर पैनल एक ही तरफ से सूर्य किरणों का अवशोषण करते हैं, जिससे कम ऊर्जा उत्पादित होती है। ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के लिए बाइफेसियल तकनीकी का विकास हुआ है। बाइफेसियल सोलर पैनल एक ऐसी तकनीकी है, जिसके द्वारा हम एक ही पैनल से पांच से दस प्रतिशत तक अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन कर सकते है क्योंकि यह तकनीक पैनल के दोनों ओर से सूर्य किरणों को अवशोषित करती है। इस तकनीक की प्रक्रिया विधि को समझते हुए Weijie Chen1 अपने शोध आलेख में लिखते हैं किइस सिस्टम को स्टेपर मोटर्स के सटीक संचालन के माध्यम से सूर्य की ओर गतिशील रूप से उन्मुख करने के लिए इंजीनियर किया गया है। जब सूर्य की रोशनी सीधे स्लिट से नीचे की ओर प्रवाहित होती है और फोटोडायोड पर टकराती है, तो सिस्टम का नियंत्रण कंप्यूटर इस संरेखण को पंजीकृत करता है, एक आयाम में सटीक सौर कोण को चिह्नित करता है। इसके बाद, सिस्टम लंबवत तल में समायोजित होता है और दूसरे सेंसर पर समान प्रत्यक्ष रोशनी की तलाश करता है। दोनों सेंसर पर सीधे सूर्य की रोशनी प्राप्त करने से कंप्यूटर को सूर्य ट्रैकर के सापेक्ष सूर्य की 3D स्थिति की गणना करने की अनुमति मिलती है” (Weijie Chen1 2025) इस तकनीक का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह टिकाऊ है और इसका लंबे समय तक उपयोग भी किया जा सकता है। इसलिए इस तकनीकी को रेगिस्तान और बर्फीले क्षेत्रों के लिए आदर्श माना जा रहा है। 

फ्लेक्सिबल और थिन-फिल्म सोलर पैनल (Saur urja plate) Flexible & Thin-Film Solar Panels:

फ्लेक्सिबल और थिन-फिल्म सोलर पैनल Saur urja plate (Flexible & Thin-Film Solar Panels) तकनीक जो कि हल्की, लचीली, दक्षतापूर्ण और परंपरागत पैनलों से कम स्थान को घेरती है। यह कम से कम सूर्य प्रकाश में भी अच्छी उत्पादकता को दर्शाती है। इस तकनीक का उपयोग घरों के छतों, कारों के छतों, पोर्टेबल चार्जर्स और अन्य अनुप्रयोगों के रूप में किया जाता है। इस तकनीक के दो प्रकार हैं। एक कैडमियम टेल्यूराइड (CdTe) सोलर सेल है। इसकी लागत कम है लेकिन विषाक्तता जैसी चिंताएँ भी विद्यमान हैं। दूसरा प्रकार है, CIGS (Copper Indium Gallium Selenide) सोलर सेल है। 

Mahmoud Zendehdel और उनकी टीम द्वारा सौर ऊर्जा की उभरती विभिन्न तकनीकियों पर गहराई से चर्चा की गई है। उन्होंने अपने शोध आलेख में फ्लेक्सिबल और थिन-फिल्म सोलर पैनल के संदर्भ में लिखा है कि “सी-एसआई वर्तमान में वैश्विक पीवी बाजार पर हावी है, लेकिन वैकल्पिक प्रौद्योगिकियां लंबे समय में कम लागत तक पहुंचने में सक्षम हो सकती हैं। पतली अर्धचालक फिल्मों पर आधारित सौर सेल आजकल वैश्विक पीवी मॉड्यूल बाजार का ~10% हिस्सा हैं। आम तौर पर, पतली फिल्म वाली कोशिकाओं को एडिटिव फैब्रिकेशन प्रक्रियाओं द्वारा बनाया जाता है, जो विनिर्माण पूंजीगत व्यय और सामग्री के उपयोग को कम कर सकता है। यह श्रेणी पारंपरिक अकार्बनिक अर्धचालकों पर आधारित वाणिज्यिक प्रौद्योगिकियों से लेकर नैनोस्ट्रक्चर्ड सामग्रियों पर आधारित उभरती प्रौद्योगिकियों तक फैली हुई है।” (Mahmoud Zendehdel and team 2020 page-6) इन सोलर पैनलों की दक्षता उच्च होती है लेकिन ये पैनल महंगे होते हैं। इन पैनलों की स्थापना में 17 से 20 प्रतिशत तक लागत बढ़ जाती है किंतु माध्यम आकार और लचीले होने के कारण कारों और छतों पर ऊर्जा उत्पादन में भूमिका निभा सकते हैं। इस तकनीकी के माध्यम से हम सौर ऊर्जा आधारित हरित परिवहन की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। 

सोलर नैनोटेक्नोलॉजी और एग्रीवोल्टिक्स Solar Nanotechnology & Agrivoltaics:

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यह एक ऐसी तकनीक है, जो हमें विविध तरीकों से सौर ऊर्जा उत्पादन करने के अनेक रास्ते खोलती है। यह नैनोटेक्नोलॉजी सोलर पैनलों की दक्षता बढ़ाने की क्षमता को बल प्रदान करती है। नैनों सामग्री (Graphene & Quantum Dots) से हम बेहतर और उच्च दक्षता के साथ ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। जैसे की सोलर पेंट है, जिसे हम इमारतों पर पर लगाकर इमारतों को ऊर्जा उत्पादक भी बना सकते हैं। इस तकनीक के संदर्भ में Mohd Abdullah Al Mamun और इनकी टीम द्वारा विस्तार से लिखा गया है। “सौर ऊर्जा के मामले में, नई पीढ़ी के क्यूडी सौर सेल विकसित करने के प्रयास किए गए हैं, जिसका अर्थ सौर सेल की दक्षता में अगली छलांग हो सकता है। क्वांटम डॉट्स छोटे अर्धचालक क्रिस्टलीय होते हैं जिन्हें पारंपरिक सिलिकॉन सेल की तुलना में सूर्य के प्रकाश की व्यापक रेंज के अवशोषण के लिए ट्यून किया जा सकता है जो उन्हें बाद वाले की तुलना में अधिक कुशल बनाता है। इसके अलावा, क्यूडी सौर सेल को समाधान-संसाधित सामग्रियों से बनाया जा सकता है, इसलिए वे पारंपरिक तकनीकों से बने लोगों की तुलना में कम ऊर्जा खपत करते हैं और सस्ते होते हैं।” (Mohd Abdullah Al Mamun and team 2024) यह तकनीक ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है किंतु इस दिशा में सरकार और निजी क्षेत्र को विशेष कदम उठाने की आवश्यकता है।

सोलर नैनोटेक्नोली के अंतर्गत एग्रीवोल्टिक्स (Agrivoltaics) भी एक प्रकार है। इस तकनीकी का उपयोग हम कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं। हम इस तकनीक को खेतों में सौर पैनल लगाकर खेती और ऊर्जा उत्पादन दोनों में वृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इस तकनीक के माध्यम से हम पानी की बचत और तापमान को नियंत्रण करने में भी सफल हो सकते हैं। 

सोलर पैनल की लागत प्रभावशीलता Cost-Effectiveness of Solar Panels:

आज सौर ऊर्जा के क्षेत्र में लागत प्रभावशीलता सबसे बड़ी चुनौती है। भारत में एक मेगावाट का सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने हेतु करीबन साड़े तीन करोड़ से लेकर पांच करोड़ तक लागत आती है, जो साधारण व्यक्ति के लिए असंभव सा प्रतीत होता है। सौर ऊर्जा परियोजनाओं की प्रारंभिक उच्च लागत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। एक सकारात्मक पक्ष यह भी है कि प्रारंभिक लागत अधिक है किंतु यह परियोजना दीर्घकालिक लाभ भी प्रदान करती है। फिर भी सवाल उठता है कि प्राणभिक लागत को कैसे प्राप्त किया जाए। यह तो हुई बड़ी परियोजनाओं की बात किंतु छोटी-छोटी परियोजनाएँ जैसे सोलर पंप, सोलर रुफटॉप आदि की स्थापना करना भी महंगा होता है। उच्च लागत के बाद ROI (Return on Investment) चार से सात वर्षों में निवेश की भरपाई हो सकती है और सौर ऊर्जा उपयोग करने से बिजली बिल में 70-90% तक कमी हो सकती है।

सौर ऊर्जा के लिए सरकारी प्रोत्साहन और नीतियाँ Government Incentives and Policies for Solar Energy:

सौर ऊर्जा की लागत अधिक है, इसलिए इसे अपनाने में बाधा उत्पन्न होती है। इस समस्या का समाधान विभिन्न देशों की सरकारें अपने-अपने तरीकों से इस क्षेत्र को बढ़ावा दे रही हैं। जैसे कि भारत और अन्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सब्सिडी और टैक्स इंसेंटिव दिए जाते हैं।

भारत में KUSUM योजना के तहत सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर सौर सब्सिडी (Solar Subsidy) प्रदान करती हैं। सब्सिडी का प्रतिशत विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हो सकता है किंतु अधिकतर यह सब्सिडी 40-30% होती है। अर्थात 40% सब्सिडी केंद्र सरकार और 30% सब्सिडी राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। कुल सब्सिडी 70% हो जाती है फिर भी लागत इतनी अधिक है कि सामान्य व्यक्ति निवेश नहीं कर पाता है।

सरकार द्वारा सौर ऊर्जा नीति के अन्तर्गत नेटल मीटरिंग नीति को अपनाते हुए यह भी सुविधा देती है कि हम अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचकर लाभ कमा सकते हैं। इसके साथ-साथ सरकार द्वारा घरेलू सोलर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) भी लागू कर रही है।

सौर पैनल Saur urja plate की लाइफस्पैन और रखरखाव Lifespan and maintenance of solar panel:

सौर ऊर्जा क्षेत्र का एक और सकारात्मक पहलू यह है कि सौर पैनलों Saur urja plate की औसत आयु पच्चीस वर्ष स्वीकार की गई है, जो एक लंबा समय है और दूसरा यह कि सौर पैनलों के रखरखाव में न्यूनतम लागत में हो जाती है। फलत: यह तकनीक दीर्घकालिक लाभ प्रदान करती है। रखरखाव में मात्र सोलर पैनलों की सफाई करनी पड़ती है और इसलिए भी स्मार्ट तकनीकियों का उपयोग किया जा सकता है। जैसे IoT-आधारित स्मार्ट मॉनिटरिंग से सौर संयंत्रों की दक्षता बढ़ाई जा सकती है।

ऊर्जा भंडारण समाधान और लागत में सुधार Energy storage solutions and cost improvements:

हम सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए इस ऊर्जा का भंडारण कर सकते हैं। जैसे बैटरी स्टोरेज टेक्नोलॉजी (लिथियम-आयन, सोडियम-आयन, फ्लो बैटरी) वर्तमान में यह तकनीक लोकप्रिय हैं। इसके साथ सोडियम-आयन और फ्लो बैटरियों का भी विकास किया जा रहा है, जो अधिक टिकाऊ और सस्ती हैं। ग्रीन हाइड्रोजन स्टोरेज भी भंडारण का एक और विकल्प है, जो भविष्य में ऊर्जा भंडारण के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इन सभी तकनीकियों का विकास और उपयोग सौर ऊर्जा की निर्भरता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। साथ-साथ हम सौर ऊर्जा के साथ ग्रिड इंटीग्रेशन भी कर सकते हैं।

सौर ऊर्जा में भविष्य की संभावनाएँ Future Prospects in Solar Energy:

सौर ऊर्जा का विकास और लाभ की व्यापक संभावनाएँ है क्योंकि सौर ऊर्जा संधारणीय विकल्प प्रदान करती है। सौर विकिरण कभी न समाप्त होनेवाला संसाधन है। यदि हम इस दिशा में आगे बढ़ते हैं तो निश्चित रूप से हम ग्रीन विश्व का निर्माण कर सकते हैं। सौर ऊर्जा की संभावनाओं को पहचानते हुए हमें उसका पूर्ण लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और IoT आधारित स्मार्ट सोलर सिस्टम का विकास करना होगा। हम अंतरिक्ष में भी सौर ऊर्जा उत्पादन (Space-Based Solar Power) कर सकते हैं किंतु हमें अनुसंधान करने की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ हम उन्नत ऊर्जा रूपांतरण तकनीक और ऑर्गेनिक सोलर सेल का निर्माण भी कर सकते हैं। हमें सौर ऊर्जा संचालित EV चार्जिंग स्टेशनों स्थापना तथा ऑर्गेनिक सोलर सेल जैसे पर्यावरण-अनुकूल और कम लागत वाले विकल्पों की तलाश करने की भी आवश्यकता है।

निष्कर्ष Conclusion:

Saur urja plate जो सूर्य प्रकाश से ऊर्जा का उत्पादन करती हैं, यह प्रौद्योगिकी वर्तमान और भविष्य में मानव सभ्यता के विकास में व्यापक भूमिका प्रदान करने की क्षमता रखती है। हालांकि आज यह क्षेत्र उतनी तेज गति विकसित नहीं हो पा रहा है, जितनी तेज गति से होना चाहिए। अत्यधिक प्रारंभिक लागत इसका प्रमुख कारण है। फिर भी कहना न होगा कि सौर ऊर्जा में लगातार हो रहे नवाचारों से इसकी दक्षता और लागत प्रभावशीलता में सुधार किया जा रहा है और यह करना आवश्यक भी है। उन्नत सोलर पैनल तकनीकें न केवल ऊर्जा उत्पादन को अधिक कुशल बना रही हैं बल्कि दीर्घकालिक बचत भी सुनिश्चित कर रही हैं। सरकार द्वारा भी इस दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। भारत और वैश्विक बाजार में सौर ऊर्जा की बढ़ती लोकप्रियता और सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के कारण सौर ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विकसित हो, इन्हीं आशाओं के साथ शब्दों को पूर्णविराम देते हैं।

 संदर्भ Reference:

  • Mahmoud Zendehdel, Narges Yaghoobi Nia, Mohammadreza Yaghoubinia,  Book: Emerging Thin Film Solar Panels, Publisher: IntechOpen, January 2020, page- DOI: 10.5772/intechopen.88733
  • Mohd Abdullah Al Mamun1, Anwar Hossain2, Yasin Arafat3, Dr. Sidra Naz4, AbdullahAl Hossain Newaz5, Marwea Al-Hedrewy6, Daim Badar7, Muhammad Sajid8, Nanotechnology In Renewable Energy: Improving Solar Cells, Batteries, And Supercapacitors Through Nanomaterials, Published: Library Progress International| Vol.44 No.3 |Jul-Dec 2024 page- 22301
  • Rabhi Selma, Halima Djaaboube, Ibrahim Yaacoub Bouderbala, Rethinking Solar Energy: Innovations in Eco-friendly Materials, In book: Breaking Boundaries: Pioneering Sustainable Solutions Through Materials and Technology Published by Springer, first  January 2025, page- 3-15 (Abstract) DOI: 10.1007/978-981-97-9827-8_1
  • Weijie Chen1, Bifacial solar panel with mirror condenser system, published: Applied and Computational Engineering, 124(1):165-174,  January 2025, page- 169 DOI:  10.54254/2755-2721/2025.20022 



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