Vayu pradushan kya hai इस बात का कोई महत्व नहीं कि मनुष्य मरता किस प्रकार है, अपितु महत्व की बात यह है कि वह जीवित किस प्रकार रहता है।”1 हजरत अली
Vayu pradushan kya hai इस प्रश्न का उत्तर खोजना आज कठिन भी है और बहुत आसान भी।बस हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि हम उस उत्तर को किस श्रेणी में रखना चाहते हैं। इस धरती पर प्रत्येक जीवधारी को श्वास लेना अनिवार्य। 1 दिन में व्यक्ति 22 हजार बार सांस लेता है और 16 किलोग्राम हवा का सेवन करता है। शुद्ध हवा जीवधारी को वायुमंडल में विद्यमान ऑक्सीजन से प्राप्त होती है। पृथ्वी के वायुमंडल में विद्यमान सभी गैसों में ऑक्सीजन की मात्रा 20.95% है। इसके अलावा वायुमंडल में नाइट्रोजन 78.09%, आर्गन 0.93%, कार्बन डाइऑक्साइड 0.03% तथा क्रिप्टन, नियॉन, हीलियम, ओजोन, हाइड्रोजन आदि गैसें भी विद्यमान हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में विभिन्न प्रकार के चक्र कार्यरत रहते हैं। जैसे कार्बन चक्र इन चक्रों की सक्रियता के कारण वायुमंडल संतुलित बना रहता है। किंतु मानव अपनी विभिन्न गतिविधियों द्वारा इन चक्र की व्यवस्था व्यवधान उत्पन्न कर रहा है। फलत: प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।
Vayu pradushan kya hai एक परिचय: What is air pollution? An introduction:
पृथ्वी पर जीवधारी को प्राप्त प्रकृति का अमूल्य वरदान यह है कि इस ग्रह पर जीवन योग्य गैसें एवं वायु विद्यमान हैं। पृथ्वी पर पौधें कार्बन डाइऑक्साइड गैस से सांस लेते हैं और ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं, जिसे पृथ्वी पर जीवधारी द्वारा ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार विभिन्न गैसों और कार्बन चक्र तथा ऑक्सीजन चक्र का संतुलन बना रहता है। पर यह संतुलन उस समय गड़बड़ा जाता है, जब आधुनिक मानव अपनी उपभोक्तावादी कभी न समाप्त होने वाली इच्छाओं को पूर्ति करने के लिए पर्यावरण और प्रकृति को हानि पहुंचता रहता है। वायु प्रदूषण की समस्या पर डॉ. विष्णु दत्त शर्मा लिखते हैं कि “भारत में वायु प्रदूषण की मुख्य समस्या यह है कि औद्योगिक उत्पादन का लगभग 80% 8 बड़े औद्योगिक नगरों में केंद्रित है, इसके कारण इन शहरों में विकेट प्रदूषण समस्या उत्पन्न हो गई है।”2 मानव की विभिन्न क्रियाकलापों के कारण उद्योगों, वाहनों या अन्य घरेलू क्रियाकलापों के कारण निकलते धूल के कण, विभिन्न गैसें वायु में प्रवेश कर जाती हैं। यही वायुमंडल में स्थित वायु प्रदूषण कहलाता है।
आप यहाँ 21वीं सदी के पर्यावरणीय संकट के बारे में पढ़ सकते हैं
आलेख का उद्देश्य: Objective of the article:
- वायु प्रदूषण का परिचय देना।
- वायु प्रदूषण क्या है इसे समझना।
- वायु प्रदूषण की गंभीरता पर प्रकाश डालना।
वायु प्रदूषण की परिभाषाएँ: Definitions of Air Pollution:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार “जब वायुमंडल में दूषित पदार्थों का सांद्रन मानव एवं पर्यावरण को हानि पहुंचने की सीमा तक बढ़ जाता है, तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है।”3 पार्किंस हेनरी के अनुसार “जब वायु मंडल में बाह्य स्त्रोतों से विभिन्न प्रदूषक यथा धूल, गैस, दुर्गंध, धुंध, धुआं और वाष्प आदि, इतनी अधिक मात्रा में उपस्थित हो जाए कि उससे वायु के नैसर्गिक गुण में अंतर आ जाए तथा उससे मानव स्वास्थ्य, सुखी जीवन और संपति का नुकसान होने लगे और जीवन की गुणावता में गिरावट आ जाए जो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।”4 वायु प्रदूषण ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें हानिकारक पदार्थ जैसे कि गैसे, कण या जैविक अणु प्रवेश करके मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की साइलेंट पब्लिक हेल्थ एमरजैंसी कहता है, जो प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। अनु के उत्सर्जन उद्योग, कृषि और अन्य विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होता है। Vayu pradushan kya hai मानव द्वारा वायु मंडल में फैलाया गई विभिन्न गैसें हैं।
आप इसे पढ़कर वायु प्रदूषण के कारण और उपाय के संदर्भ में जान सकते हैं।
वायु प्रदूषण के प्रकार: Types of air pollution:
वायु प्रदूषण को उत्पत्ति, प्रकृति और प्राथमिकता के आधार पर दो-दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है।
- उत्पत्ति के आधार पर वायु प्रदूषण दो प्रकार हैं। 1. प्राकृतिक प्रदूषण 2. मानव जनित प्रदूषण।
प्राकृतिक प्रदूषक | मानव जनित प्रदूषक |
ये प्राकृतिक स्रोत अथवा प्राकृतिक घटनाओं से उत्सर्जित होते हैं
पौधों के परागकण, पौधों के कार्बनिक योगिक, ज्वालामुखी विस्फोट, जैविक पदार्थ के गलने से निकलने वाली गैसे, जैसे SO2, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) वनाग्नि तथा समुद्र से निकलने वाले कण। नोट: प्रकृति से निकलने वाले प्रदूषण की सांद्रता काम होती है, जिनका गंभीर प्रभाव नहीं पड़ता है। |
कारखानों, स्वचालित वाहनों, रसोईघरों तथा विभिन्न मानवीय क्रियाओं से उत्सर्जित प्रदूषक। |
- वायु प्रदूषकों की प्रकृति के आधार पर दो प्रकार हैं। 1. गैसीय प्रदूषक 2. कणिकीय प्रदूषक
गैसीय प्रदूषक | कणिकीय प्रदूषण |
जीवाश्म ईंधन से निकलने वाले प्रदूषक: कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मनोआक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि।
एरोसॉल कैन तथा रिफ्रीजेटर प्रणाली से उत्सर्जित प्रदूषक: क्लोरोफ्लोरोकार्बन सल्फर युक्त जीवाश्म ईंधन, दहन से उत्सर्जित प्रदूषक: सल्फर के योगिक, जैसे SO2, SO3 आदि। सुपर सोनिक जेट विमान और रासायनिक उर्वरकों से उत्सर्जित: नाइट्रोजन के योगिक जैसे नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड NO2) तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO3 ) सूती वस्त्रों की ब्लीचिंग तथा अन्य रासायनिक क्रियाओं से उत्सर्जित: क्लोरीन। |
इसके मुख्य स्रोत गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, ताप संयंत्र, तेल शोधन कारखाना, निर्माण कार्य आदि से कणिकिय प्रदूषण वायुमंडल में फैलते हैं। फ्लाई ऐश और अन्य धातुकण इसके उदाहरण हैं। |
- प्राथमिक प्रदूषक और द्वितीय प्रदूषक
प्राथमिक प्रदूषक | द्वितीय प्रदूषक |
प्राकृतिक अथवा मानवीय क्रियाकलापों के फलस्वरुप वायुमंडल में सीधे निष्कासित होने वाले प्रदूषकों को प्राथमिक प्रदूषण कहते हैं। जैसे: ईंधन जलाने से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और विभिन्न प्रकार की हाइड्रोकार्बन तथा कणिकाएं। | द्वितीय प्रदूषण उसे कहते हैं, जो वायुमंडल में सूर्य की किरणों की उपस्थिति में दो प्रदूषण के आपसी अभिक्रियाओं के द्वारा तीसरा प्रदूषण तैयार होता है।
जैसे: वायुमंडल में प्राथमिक प्रदूषक है, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) जो वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके सल्फर डाइऑक्साइड (SO3) बनती है, जो द्वितीयक प्रदूषक है। यही सल्फर डाइऑक्साइड जलवाष्प से मिलकर द्वितीयक प्रदूषक सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) बनता है, जो अम्ल वर्षा का एक घटक है। |
प्रदूषक | उत्पादन स्रोत | वायुमंडल में उपस्थित प्रतिशत | प्रभाव | नियंत्रण के उपाय |
1 कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) (रंगहीन, गंधहीन) | गैस, खनिज, कोयला, तेल, पीठ एवं लकड़ी के दहन, पेट्रोल व डीजल से चलने वाले स्वचालित वाहन, खनिज तेल शोधन शालाएँ, लोह व इस्पात कारखाने, धातु पिघलाने वाली भट्ठियाँ आदि से उत्सर्जित होता है। | परिवहन-75.7%
घरेलू लकड़ी दहन-10.6% एल्यूमीनियम संयंत्र-9.1% अन्य-4.6% |
इसकी अल्प मात्रा भी मनुष्य को सांस लेने की समस्या पैदा करती है और इस कारण मृत्यु भी हो सकती है।
बच्चों में कम वजन का होना भी इसी का कारण है। |
तंबाकू आदि धूम्रपान पदार्थ को प्रतिबंधित करना चाहिए।
ऑटोमोबाइल व उद्योग संयंत्रों में फिल्टर प्रणाली लगाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है। |
2. हाइड्रोकार्बन | आधा जला कोयला तथा पेट्रोलियम प्रक्रिया से उत्पन्न
ताप विद्युत गृहों में ज्यादा कोयला जलने से, खुले मालवाहित नालियों से, गैसोलीन-टैंको, कार्बोरेटर्स से वाष्पन, औद्योगिक गतिविधियाँ, नगर निगम का लैंडफिल आदि। |
इसका मानव पर कैंसर कारी प्रभाव पड़ता है। हाइड्रोकार्बन का उच्चतर सांद्रन पौधों और प्राणियों के लिए विषैला साबित हो सकता है। | ऑटोमोबाइल इंजनों में सुधार करना, पेट्रोलियम के रखरखाव एवं धुलाई का उचित प्रबंध करना होगा। | |
3. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) | प्राकृतिक स्रोत:
ज्वालामुखी गतिविधि, गंधक युक्त गैसों का अपघटन और गर्म झरने। मानवीय स्त्रोत: कोयला और तेल का दहन, खनन और धातु प्रसंस्करण, पेट्रोलियम उत्पादों की रिफायनिंग, रासायनिक उद्योग, कचरा जालना, जैव ईंधन का जलना और परिवहन। |
उद्योग-67%
ऊर्जा-25% परिवहन- 5% घरेलू-2% अन्य-1% |
यह गैस जल के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण करती है जो अम्ल वर्षा के लिए उत्तरदाई है। भवनों का संक्षारन, धूम कोहरे का निर्माण मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। | वैकल्पिक जीवाश्म ईंधन का प्रयोग करना होगा।
कम से कम सल्फर युक्त ईंधन का प्रयोग करना होगा। परिवर्तित ईंधन का प्रयोग करना होगा। |
4. क्लोरोफ़्लोरो कार्बन (CFCs) | मानवजनित स्रोत:
रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग, एरोसॉल, स्प्रे, फोम निर्माण, सॉल्वेंट्स और क्लीनिंग एजेंट्स, फायर एक्सटिंग्विशर्स, प्लास्टिक और औद्योगिक कार्य, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निपटान, सामान्य वायुमंडलीय रिसाव आदि। |
एयरोसॉल-26%
रेफ्रिजरेटर-26% फोम-25% सोल्वेंट-16% अन्य-7% |
ओजोन की अल्पता रहने से पराबैंगनी किरणें धरती पर सीधी आएगी इसके परिणाम स्वरूप चर्म रोग, कैंसर आदि ।
प्रत्यक्ष संपर्क से यह त्वचा को शुष्क करती है। |
ऊर्जा सक्षम उपकरणों का प्रयोग करना होगा।
एरोसॉल कैन का सीमित प्रयोग और 3R का अनुसरण करना होगा (जिसमें पुनर्चक्रण, कमी एवं पुनः उपयोग) बिजली के उपकरणों को बंद करना जब वह उपयोग में न हो। |
5. मिथेन (CH4) | प्राकृतिक स्रोत
डालडालिक क्षेत्र ज्वालामुखी गतिविधियाँ और भूगर्भीय प्रक्रियाएं, पेराफ्रास्ट का पिघलना, समुद्री तलछट आदि। |
आर्द्र भूमि-22%
प्राकृतिक गैस/ तेल एवं कोल खनन-12% किण्वन- धान के खेत-13% जैविक दहन- 8% लैंडफिल-6% अपशिष्ट प्रणाली-5% जंतु अपशिष्ट-5% दीमक-4% अन्य-3% |
ग्रीन हाउस प्रभाव में योगदान (मनुष्य पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है) | मानव जनित उत्पादन पर नियंत्रण, मानव 60% मेथेन उत्पादन में योगदान करता है |
6. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) | प्राकृतिक स्रोत:
ज्वालामुखी विस्फोट, जैविक प्रक्रिया। मानव निर्मित स्त्रोत: वाहनों का धुआं, औद्योगिक क्रियाएं, बिजली संयंत्र, घरेलू स्त्रोत। अन्य स्रोत विमान का उत्सर्जन, निर्माण कार्य आदि। |
ईंधन दहन -50%
परिवहन -45% उद्योग -4% अन्य -1% |
मानव शरीर में इसके सांद्रता होने से मसूड़े में सूजन, रक्तस्राव ऑक्सीजन की कमी, कैंसर। ओजोन परत में कमी अम्ल वर्षा के लिए भी उत्तरदाई होती है, पी ए एन का निर्माण जो त्वचा कैंसर का कारक है। | ऑटोमोबाइल क्षेत्र का सीमित वह बेहतर उपयोग करना होगा।
उद्योग में फिल्टर प्रणाली अपनाना होगा। वैकल्पिक ईंधन का प्रयोग करना होगा। |
7. सीसा (lead) | प्राकृतिक स्रोत:
ज्वालामुखी विस्फोट, मिट्टी और चट्टानों का कटाव, ग्रहणीय धूल। मानव निर्मित स्त्रोत: वाहनों का उत्सर्जन, औद्योगिक क्रियाएं, सीसा युक्त पेंट, इलेक्ट्रॉनिक कचरा पानी के पाइप। |
मोबाइल-
उद्योग – ईंधन दहन- अन्य- |
शरीर के तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं एवं कैंसर का कारण बन सकता है। | अपशिष्ट का उचित प्रबंधन और निपटारा करना होगा।
सीसा रहित पेट्रोल और पेट का उपयोग, औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण, ई कचरे का सही प्रबंधन। |
8. वाष्पशील कार्बनिक पदार्थ (VOC) | रंगरोगन विलायक, पेट्रोलियम पदार्थ आदि। | बॉयोजेनिक आग, ऑटोमोबाइल उद्योग, सॉल्वेंट और अन्य। | यह NOx के साथ क्रिया करके ओजोन का निर्माण करते हैं, जो स्वास्थ्य व जलवायु पर खतरनाक प्रभाव डालती है। | फिल्टर प्रणाली का बेहतर उपयोग करना होगा। |
9. कणिकीय पदार्थ | प्राकृतिक स्रोत:
ज्वालामुखी विस्फोट, रेगिस्तान धूल, समुद्री लवण, पौधों द्वारा उत्सर्जित जैविक कण आदि। मानव जनित स्त्रोत: औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का धुआं, निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियां, कचरा जालना, जैविक ईंधन का उपयोग, कृषि गतिविधियाँ आदि। |
घरेलू -39%
अन्य परिवहन-15% औद्योगिक गतिविधियां- 15% खनिज -15% अन्य -8% सीमेंट उद्योग -5% सड़क वाहन-3% |
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को बाधित करते हैं और श्वसन तंत्र पर दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। | फिल्टर प्रणाली का प्रयोग, प्रदूषण नियंत्रण |
10. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) | प्राकृतिक स्रोत:
ज्वालामुखी विस्फोट, सजीवों का श्वसन, सजीवों का क्षय, समुद्र से उत्सर्जन। मानव निर्मित स्त्रोत: जीवाश्म ईंधन का दहन, वनों की कटाई, उद्योग, कृषि कचरा जालना, विमान और जहाज। |
ऊर्जा: 40%
परिवहन: 20-25% उद्योग: 20% घरेलू: वाणिज्यिक: अन्य: |
वैश्विक तापन, ग्रीन हाउस प्रभाव, जलवायु परिवर्तन | पेड़ पौधे लगाना होगा, व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाना होगा।
ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत का प्रयोग करना होगा। |
11. प्रकाश रासायनिक आंक्सीडेंट्स | प्राकृतिक स्रोत:
वनस्पति उत्सर्जन, ज्वालामुखी गतिविधियाँ, जंगल की आग, सूर्य का प्रभाव। मानव जनित स्त्रोत: वाहनों से उत्सर्जन, औद्योगिक गतिविधियां, घरेलू स्रोत, निर्माण कार्य, प्रकाश रासायनिक स्माग आदि। |
वायुमंडल में प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया, नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन। | इससे धुंध स्मोक प्रभाव उत्पन्न होता है, जिससे नाक, आंख और गले की समस्याएं तथा जलन आदि उत्पन्न होती है। | धुंध पैदा करने वाले रसायन का सीमित प्रयोग करना होगा। |
12. ओज़ोन O3
समताप मंडल में पाई जाने वाली ओजोन UV किरणों को रोकते हैं परंतु धरातल पर यह गैस प्रदूषण का कारण बनती है। |
वाहन (ऑटोमोबाइल क्षेत्र), उद्योग | आंखों एवं त्वचा पर अत्यंत विषाक्त प्रभाव उत्पन्न करती है। शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को घटाती है और सांस लेने में अत्यधिक कठिनाइयां उत्पन्न करती है। | ओजोन का निस्तारण (रासायनिक व फिल्टर पद्धति द्वारा करना) आवश्यक है। |
अन्य वायु प्रदूषण: Other air pollution:
उपर्युक्त वर्णित वायु प्रदूषकों के अलावा एरोसॉल, प्रकाश रासायनिक धूम कोहरा, फ्लाई ऐश और निलंबित कनिकीय पदार्थ तथा घरेलू वायु प्रदूषण भी हैं।
एरोसॉल:
Vayu pradushan kya hai मानव गतिविधियों के कारण वायुमंडल में फैले एरोसॉल हैं। जिसका आकार एक माइक्रोन से 10 माइक्रोन तक होता है। यह कारखाने, ताप विद्युत घरों, स्वचालित वाहनों, कृषि कार्यों आदि से उत्सर्जित होता है। यह प्राकृतिक अथवा मानव जनित दोनों प्रकार का हो सकता है। यह ठोस भी हो सकता है और तरल भी हो सकता है। यह जलवायु को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है। उदा: एरोसॉल खतरनाक रेडिएशन को ग्रहण कर लेते हैं। वे बादलों के जीवन चक्र को भी प्रभावित कर सकते हैं।
प्रकाश रासायनिक धूम कोहरा:
प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे का प्रमुख घटक धरातलीय ओज़ोन O3 गैस है। Vayu pradushan kya hai धरातल पर फैली ओज़ोन गैस है। जब यह गैस समतापमंडल में पाई जाती है तो वह पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है किंतु जब यही क्षोभमंडल में धरातल के समीप पाई जाती है, तो वह प्रदूषण का काम करती है। इस ओजोन का निर्माण नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं वाष्पशील कार्बनिक पदार्थ की सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में अंत:क्रिया से होता है।
फ्लाई ऐश:
Vayu pradushan kya hai यह एक प्रकार का फ्लाई ऐश भी है। फ्लाई ऐश एक सूक्ष्म पाउडर होता है, जो वायु के साथ वायुमंडल में दूर तक यात्रा करता है। इसका उत्सर्जन मुख्य रूप से कोयला आधारित ताप विद्युत घरों से होता है।
इसका निर्माण अल्युमिनियम सिलीकेट, सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2) तथा कैल्सियम ऑक्साइड (CaO) आदि से होता है। इसमें सीसा, आर्सेनिक, कोबाल्ट एवं कॉपर जैसी जहरीली धातुओं के कण भी होते हैं।
घरेलू वायु प्रदूषण: Indoor air pollution
संपूर्ण विश्व में अधिकांश लोग भोजन बनाने और अपने घरों को गर्म रखने हेतु लकड़ी, चारकोल, कोयला, कृषि अपशिष्ट आदि का प्रयोग करते हैं। इसे जलाकर वे परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से भारी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाते हैं। Vayu pradushan kya hai यह विभिन्न प्रकार की घरेलू क्रियाओं द्वारा फैली गैसें हैं।
Vayu pradushan kya hai इसको समझाते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि “2012 में प्रकाशित WHO की रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू प्रदूषण के कारण लगभग 4.3 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई। यह घरेलू ऊर्जा स्रोतों, जैसे लकड़ी, कोयला, और अन्य बायोमास ईंधन के उपयोग से उत्पन्न होता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता है।”5 ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू वायु प्रदूषण परंपरागत ईंधन जैसे जलावन लकड़ी, चारकोल, गोबर आदि का प्रयोग खाना बनाने हेतु किया जाता है जबकि शहरी क्षेत्र में यह प्रदूषण वायु रुद्ध घरों में रासायनिक उत्पादों एवं सिंथेटिक उत्पादों के प्रयोग के कारण फैलता है।
घरेलू वायु प्रदूषण के स्रोत: Sources of indoor air pollution:
घरेलू वायु प्रदूषण के अंतर्गत वाष्पशील कार्बनिक पदार्थ, तंबाकू, जैविक प्रदूषण, रेडॉन, फ़ॉर्मलड़िहाइड आदि विभिन्न प्रकार हैं।
वायु प्रदूषण के विभिन्न प्रभाव: Various effects of air pollution:
Vayu pradushan kya hai यह जीव-मंडल को नकारात्मक रूप से प्रभावित करनेवाली प्रदूषित वायु है। वायु प्रदूषण के असंख्य प्रभाव पड़ते हैं किंतु कुछ प्रमुख प्रभावों की पहचान की गई है।
किसी भी जीव के लिए तथा उसके स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। Vayu pradushan kya hai यह मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालनेवाली प्रदूषित वायु है। वायु प्रदूषण श्वसन तंत्रिका तंत्र, फेफड़े एवं रक्त परिसंचरण तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। प्रदूषित वायु से विभिन्न प्रकार के रोग जैसे चर्म रोग, श्वसन रोग, अस्थमा, अनिद्रा, टी.बी. ब्रोंकाइटिस, विलीनोसिस, थकावट, सर दर्द आदि होते हैं।
वायु प्रदूषण का वनस्पति एवं जीव जंतुओं पर प्रभाव: Effect of air pollution on flora and fauna:
वनस्पति एवं जीव जंतुओं पर वायु प्रदूषण का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। अम्ल वर्षा, ओजोन परत के क्षय, सल्फर व नाइट्रोजन के ऑक्साइड आदि से पौधों की विभिन्न क्रियाएं नकारात्मक रूप से प्रभावित होती हैं। Vayu pradushan kya hai जलीय और स्थलीय जीवो पर भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करनेवाली समस्या है।
वायु प्रदूषण का जलवायु एवं मौसम पर प्रभाव: Effect of air pollution on climate and weather:
Vayu pradushan kya hai यह पृथ्वी को गरम करनेवाली गैसें हैं, जो जीवन के लिए संकट खड़ा करती हैं। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की सघनता में वृद्धि होने के कारण हरित गृह प्रभाव में वृद्धि हो जाती है। इससे धरातल की सतह का तापमान बढ़ने लगता है। परिणाम स्वरुप बर्फ पिघलने लगती है और समुद्र जलस्तर में वृद्धि होने लगती है। बहुत से क्षेत्र को जलमग्न जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। वायुमंडल तापमान में वृद्धि पर विचार करते हुए डॉ. विष्णु दत्त शर्मा लिखते हैं कि “वायुमंडल का ताप बढ़ने का भयंकर दुष्परिणाम यह है कि पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण भाग की बर्फ की चट्टानें पिघल कर प्रलय ला सकती है।”6 अधिक तापमान वृद्धि के कारण मरुस्थलीकरण व सूखा में वृद्धि हो सकती है। इससे स्थानीय मौसम में परिवर्तन, वर्षा प्रारूप में परिवर्तन, तापमान तथा वायु की गति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वायु प्रदूषण का पर्यावरण पर प्रभाव: Impact of air pollution on the environment:
जलीय पारितंत्र में फाइटोप्लैक्टन की कमी होती है। जिससे इस परतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पेड़-पौधों की विकसित होने की प्रक्रिया में बाधा आती है और पराबैंगनी विकिरण स्थलीय एवं जलीय जैव भू-रासायनिक चक्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगता है।
वायु प्रदूषण का ओजोन परत पर प्रभाव: Effect of air pollution on ozone layer:
मानव द्वारा की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों और प्रक्रियाओं के कारण वायुमंडल में क्लोरीन, ब्रोमीन आदि अंगों का उत्सर्जन होता है। यह ओजोन विनाश के कारण बनते हैं। ओजोन का विघटन हो जाने पर मुख्य रूप से सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर आती हैं और चर्म रोग जैसे रोग की समस्याएं बढ़ने लगती है। ओजोन परत विघटन में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC), कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCI4) आदि प्रमुख घटक हैं।
वायु प्रदूषण के कारण अम्ल वर्षा: Acid rain due to air pollution:
कुछ प्राकृतिक एवं अधिकांश मानव द्वारा निर्मित विभिन्न स्रोतों से वायुमंडल में सल्फर एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड फैलता रहता है। इनमें से कुछ आक्साइड्स धरातल पर वापस शुष्क निक्षेप के रूप में जमा हो जाते हैं। वर्षा जो सल्फेट, नाइट्रेट, अमोनियम एवं हाइड्रोजन आयन को शामिल किए होती है। धरातल पर वहीं वर्षा अम्ल वर्षा के रूप में गिरती है।
अम्ल वर्षा जलीय और स्थलीय दोनों प्रकार के जीवों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। “अम्लीय वर्षा के कारण जल समुदायों में भूमि सतह पर शोषण विषैली वह विकिरण सक्रिय धातुओं के भी जल में आ जाने के प्रमाण मिले हैं। ऐसी परिस्थितियों संपूर्ण जल जीवन विशेषता मत्स्य की के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो सकती है।”7 इससे इमारत तथा स्मारकों को को भी नुकसान पहुंचता है। डॉ विष्णु दत्त शर्मा लिखते हैं कि “शहरी क्षेत्र में अम्लीय वर्षा से इमारत में सीमेंट कंक्रीट लोग कैप्टन पेंट इत्यादि पर प्रभाव को एका गया है।”8 मृदा के जैविक एवं रासायनिक गुण अम्ल वर्षा द्वारा गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं फलत: कृषि उत्पादन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब कृषि उत्पादन कम होता है तब खाद्य सुरक्षा संकट में पड़ जाती है। अम्ल वर्षा वन के विभिन्न पेड़ों और झाड़ियों को कई तरीकों से प्रभावित करती है। जिसके फलस्वरूप उनकी वृद्धि भी रुक जाती है।
निष्कर्ष: conclusion:
Vayu pradushan kya hai मानव के समक्ष एक ऐसी चुनौती है, जिसका समाधान करना आज अत्यंत आवश्यक है अन्यथा यह आनेवाली पीढ़ियों के समक्ष हमें प्रदूषक सभ्यता का दाग लगा सकती है। कहना न होगा कि आज पृथ्वी पर जीवधारी के लिए वायु प्रदूषण एक संकट बनता जा रहा है। यह संकट मानव द्वारा की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से वायुमंडल में फैल रहा है। जब वायु प्रदूषण के स्तर को पार कर जाती है, तब वह मनुष्य अथवा अन्य जीवों के लिए हानिकारक बन जाती है। प्रदूषित वायु का मानव शरीर, वनस्पति एवं जीव-जंतुओं पर, पर्यावरण एवं जलवायु तथा मौसम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतः आज वायु प्रदूषण को कम करने हेतु विभिन्न प्रकार के कदम उठाने की आवश्यकता है।
संदर्भ:
- डॉ. गया प्रसाद गुप्त, पर्यावरण विज्ञान, जन भारती प्रकाशन, इलाहाबाद भारत, द्वितीय सं. 2014, पृष्ठ-102
- वही, पृष्ठ-105
- https://www.who.int/health-topics/air-pollution#tab=tab_1
- सुषमा सिंह, पर्यावरण: संकट एवं निवारण, प्राची कम्यूनिकेशन, दिल्ली, प्रथम सं. पृष्ठ-152
- https://www.who.int/health-topics/air-pollution#tab=tab_1
- डॉ. गया प्रसाद गुप्त, पर्यावरण विज्ञान, जन भारती प्रकाशन, इलाहाबाद भारत, द्वितीय सं. 2014, पृष्ठ-105
- वही, पृष्ठ–109
- वही, पृष्ठ-108